सुपौल । पाकिस्तान की जेल में 17 साल काटकर बिहार का श्यामसुंदर दास जब इस दीपावली पर घर पहुंचा, तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।...
सुपौल । पाकिस्तान की जेल में 17 साल काटकर बिहार का श्यामसुंदर दास जब इस दीपावली पर घर पहुंचा, तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सुपौल जिले के प्रतापगंज के रहने वाले श्यामसुंदर ने बरसों बाद अपने घर वालों के साथ दीपावली मनाई। वह पंजाब में काम करने गया था और फिर भटककर बॉर्डर पार कर गया। मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उसे 17 साल पाकिस्तान की जेल में काटने पड़े।
प्रतापगंज थाना इलाके के भवानीपुर दक्षिण पंचायत वार्ड 3 निवासी भगवान दास का पुत्र श्यामसुंदर दास 2005 में अपने कुछ साथियों के साथ काम करने पंजाब गया था। श्यामसुंदर और उसके पांच अन्य साथी भटकते हुए अमृतसर से पाकिस्तान बॉर्डर के उस पार चले गए थे। पाकिस्तान की पुलिस ने उन्हें बगैर कागजात के घूमते हुए पकड़ लिया और फिर न्यायिक हिरासत में रखा।पाकिस्तान में पकड़े जाने के बाद श्यामसुंदर के सभी साथियों को पूछताछ और अन्य सबूतों के आधार पर 6 महीने बाद रिहा करके भारत वापस भेज दिया गया। मगर श्यामसुंदर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह पाकिस्तानी अधिकारियों को सही जानकारी नहीं दे पाया। पाकिस्तान की ओर से भारतीय दूतावास से भी श्यामसुंदर के भारतीय होने के सबूत मांगे लेकिन उसके घर-परिवार की सही जानकारी नहीं मिल पाई।
श्यामसुंदर के पिता भगवान दास ने बताया कि 2021 में उन्हें श्यामसुंदर पाकिस्तान की जेल में होने की खबर लगी। तब से उसके परिजन प्रतापगंज थाना से संपर्क कर उसे पाकिस्तान से लाने के लिए मदद करने की गुहार लगाते रहे। भगवान दास ने श्यामसुंदर का भारतीय होने का सारा सबूत पुलिस को उपलब्ध कराया। उसे प्रतापगंज थानाध्यक्ष ने अपने पुलिस कप्तान के माध्यम से पिछले साल ही दूतावास भेज दिया गया।
श्यामसुंदर की पहचान के कागजात मिलने के बाद पाकिस्तानी सरकार ने उसे इस साल 29 सितंबर को रिहा कर दिया। वतन वापसी के बाद उसे इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी ने अमृतसर (पंजाब) स्थित गुरूनानक देव अस्पताल में पंजाब पुलिस की देखरेख में रखा। पंजाब पुलिस ने ही श्यामसुंदर के भारत आने और इलाज हेतु गुरूनानक देव अस्पताल में रखे जाने की सूचना बिहार सुपौल एसपी को दी। इसके बाद एसपी के आदेश पर बिहार से एक पुलिस टीम पंजाब भेजी गई और दीपावली के दिन श्यामसुंदर को पंजाब से प्रतापगंज लाया गया।
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