लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सालय खुद के इलाज के लिए तरस रहा, निर्माण के बाद से ही पढ़ा है बन्द करैरा। लगभग आठ वर्ष पूर्व लाखों की लागत स...
लाखों की लागत से बना पशु चिकित्सालय खुद के इलाज के लिए तरस रहा, निर्माण के बाद से ही पढ़ा है बन्द
करैरा। लगभग आठ वर्ष पूर्व लाखों की लागत से निर्मित कराये गए पशु चिकित्सालय सिलानगर जानवरों के इलाज के नाम पर तबेला बनकर रह गया है। यहां पशु चिकित्सालय पूरी तरह बदहाली का शिकार होकर खुद के इलाज के लिए तरस रहा है।करैरा जनपद के निकटवर्ती सिलानगर ग्राम पंचायत मुख्यालय पर 8 वर्ष पूर्व पशु पालकों को राहत देने व पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सालय भवन बनाया गया था। लेकिन 8 साल बीतने के बाद भी पशु चिकित्सालय शुरू नही हाे सका हैं।
ऐसे में केन्द्र पर पशुधन सहायक की नियुक्ति नही होने के कारण केंद्र शुरू से ही बन्द पड़ा है। जिसके चलते सिलानगर समेत आसपास के पशुपालक आज भी इलाज के लिए सिरसौद समेत करैरा पशु चिकित्सालय पर निर्भर है।
वही पशुओं के टीकाकरण समेत इलाज समय पर नहीं मिलने के चलते कई पशुओं की जान चली जाती है।
• नहीं मिलता निशुल्क दवा का लाभ
उप केंद्र शुरू नहीं हो पाने से पशुपालकों को पशुधन निशुल्क आरोग्य योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है। पशु उप केंद्र बन्द होने के चलते पशुपालकों को इलाज के लिए 10 किमी दूर जाना पड़ता है।
समय पर पशुओं के इलाज के लिए पशुपालक निजी दुकानों से दवाइयां खरीदने को मजबूर है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। इन दिनों मौसमी बीमारियों का खतरा भी बना हुआ है। ऐसे में पशुधन सहायक के अभाव में पशु मर भी रहे है।
• इनका कहना है
सिलानगर में आठ साल पहले पशु चिकित्सालय का निर्माण हुआ था। लेकिन निर्माण के बाद से ही आजतक शुरू नही हो सका। जिससे पशुपालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पशुपालन विभाग काे पत्र लिखकर इसे शुरू कराने की मांग की गई है।
-गीता कुशवाह, सरपंच सिलानगर
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