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संत गाडगे बाबा के 66 वे परिनिर्वाण दिवस पर कोटि कोटि नमन व भावपूर्ण श्रद्धांजलि

  संत  गाडगे  बाबा  के 66 वे परिनिर्वाण दिवस पर  कोटि  कोटि  नमन  व  भावपूर्ण  श्रद्धांजलि     ,,,,,,,,,, 🙏💐💐💐🖕,,,,,,,,,,       गाडगे ब...

 















संत  गाडगे  बाबा  के 66 वे परिनिर्वाण दिवस पर  कोटि  कोटि  नमन  व  भावपूर्ण  श्रद्धांजलि    

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      गाडगे बाबाजी,ने,,महात्मा बुद्ध जी की तरह सभी साधनों का त्याग कर दिया था. वे अपने साथ सिर्फ मिट्टी के मटके जैसा एक पात्र और झाडू रखते थे. इसी पात्र में वे भीख मॉगते  खाना भी खाते और पानी भी पीते थे. महाराष्ट्र में मटके के टुकड़े को गाडगा कहते हैं. इसी कारण कुछ लोग उन्हें गाडगे महाराज तो कुछ लोग गाडगे बाबा कहने लगे और बाद में वे संत गाडगे के नाम से प्रसिद्ध हो गये. जहां भी वे जाते सबसे पहले अपनी झाडू से उस स्थान, गॉव की सफाई शुरू कर देते.


वे कहते थे कि प्यासे को पानी,भूखे लोगों को भोजन कराओ, बच्चों को शिक्षित करो, असहायो की सेवा करो, 

संत गाडगे बाबा विशेष रूप से संत कबीरदास, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर आदि के काव्यांश जनता को सुनाते थे. हिंसाबंदी, शराबबंदी, अस्पृश्यता निवारण, सामाजिक कुरीतियों  ,पाखंड अंधविश्वास हटाओ,,मॉसभक्षण,पशुबलि प्रथा निषेध आदि उनके कीर्तन के विषय हुआ करते थे.


मानवता के पुजारी गाडगे बाबा जी,समानता के पक्षधर थे शिक्षा की अलख जगाने वाले,गाडगे बाबा ने  जनसेवा ,पशु सेवा को ही अपना धर्म बना लिया था. वे व्यर्थ के कर्मकांडों,पोथीपञो, मूर्ति पूजा व खोखली परम्पराओं से दूर रहे. जाति प्रथा और अस्पृश्यता को गाडगे बाबा सबसे घृणित और अधर्म कहते थे.  उनके समाज-सुधार सम्बन्धी कार्यों को देखते हुए ही डॉ.भीमराव आंबेडकर जी ने उन्हें त्यागी और कर्मयोगी जनसेवक कहा करते थे

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संत गाडगे और डॉ. आंबेडकर के बीच बहुत गहरा नाता था और एक दूसरे की विचार धारा व कार्यों से प्रभावित थे.   डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी और संत गाडगे बाबा ने साथ में तस्वीर खिंचवायी थी. आज भी कई घरों में ऐसी तस्वीरें दिखायी देती हैं. संत गाडगे बाबा ने डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर जी, द्वारा स्थापित पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी को पंढरपुर की अपनी धर्मशाला छात्रावास हेतु दान की थी.

डॉ. भीमराव अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर 1956) के 14 दिन बाद 20 दिसम्बर, 1956 को गाडगे बाबा जी ने अंतिम सांस ली. उनके परिनिर्वाण पर पूरे महाराष्ट्र और अन्यत्र भी दलित-बहुजनों के बीच शोक की लहर दौड़ गई थी. दलित-बहुजन समाज ने दिसंबर महीने में कुछ ही दिनों के भीतर अपने दो रत्न खो दिए थे.


1 मई सन् 1983 ई. को महाराष्ट्र सरकार ने ‘संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय,’ की स्थापना की. उनकी 42वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 20 दिसम्बर, 1998 को भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया. सन् 2001 में महाराष्ट्र सरकार ने उनकी स्मृति में संत गाडगे बाबा ग्राम स्वच्छता अभियान शुरू किया.

    कर्मयोगी संत गाडगे बाबा जी को कोटि-कोटि नमन,, 

🙏जय गोपाला🙏

🙏जय गाडगे बाबा🙏

🙏जय हो रजक समाज🙏

🙏जगदीश खत्री🙏

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