हल्दी से निखरे, जीवन के रंग आदिवासी महिलाएं उद्यमी बनी, हल्दी प्रोसेस यूनिट का कर रही संचालन श्योपुर/मसालों के अलावा सौन्दर्य प्रसाधन के रूप...
हल्दी से निखरे, जीवन के रंग
आदिवासी महिलाएं उद्यमी बनी, हल्दी प्रोसेस यूनिट का कर रही संचालन
श्योपुर/मसालों के अलावा सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में उपयोगी होने वाली हल्दी जीवन के रंग भी निखार रही है। आदिवासी विकासखण्ड कराहल की आदिवासी महिलाएं एनआरएलएम के माध्यम से सशक्त होकर न केवल उद्यमी बन रही है, वरन हल्दी प्रोसेंस यूनिट का सफल संचालन भी कर रही है।
जिला प्रशासन के नेतृत्व में ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं रोज नित नये आयाम स्थापित कर रही है। आजीविका से लेकर सामाजिकता के क्षेत्र में श्योपुर जिलें का मान बढा रही है। बरगवा संकुल की महिलाओं ने भी औद्योगिक क्षेत्र में अपने कदम बढाते हुए हल्दी प्रोसेस यूनिट की शुरूआत की थी। यह यूनिट अब सफल तरीके से संचालित होकर महिलाओं की आमदनी का स्थाई जरिया बन गई है।
आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम बरगवा के शक्ति संकुल की महिलाओं द्वारा विकासखण्ड कराहल मुख्यालय पर हल्दी प्रोसेस यूनिट का संचालन किया जा रहा है। उल्लेखनीय बात यह है कि इस प्रसंस्करण इकाई में सभी काम ग्रामीण महिलाएं स्वयं कर रही है। ग्राम लहरौनी निवासी श्रीमती चमेली बाई आदिवासी इस संगठन की अध्यक्ष होने के नाते यूनिट संचालन का नेतृत्व एक बिजनेस वुमैन की तरह करती दिखाई देती है। यूनिट में लगभग 50 महिलाएं अपने-अपने दायित्व को संभालती है। किसी के पास हल्दी के भण्डारण की जिम्मेदारी है तो किसी के पास हल्दी को उबालने और सुखाने की, किसी के पास यूनिट चलाकर हल्दी पिसाने की तो किसी के पास पैकिंग की। हिसाब-किताब के लिए भी महिलाएं खुद ही जिम्मेदारी उठा रही है। संगठन की सचिव श्रीमती जतरी बाई पटेरिया निवासी बरगवा कहती है कि सीधें यूनिट से 50 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। मेहनत मजदूरी के स्थान पर अब हम सब महिलाओं अपने ही कारखानें में मालिक बनकर काम कर रहे है और अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहें है। यूनिट के पास ही प्रशासन द्वारा हल्दी भण्डारण के लिए गोदाम भी उपलब्ध कराया गया है।
हल्दी प्रोसेंस यूनिट में हल्दी की प्रोसेसिंग करने से जहां लगभग 50 महिलाओं को रोजगार मिला है, वही इस यूनिट के लगने से इसमें हल्दी की आपूर्ति करने के लिए बरगवा क्षेत्र को हल्दी कलस्टर के रूप में विकसित किया गया है। एनआरएलएम के द्वारा इस क्षेत्र के 254 परिवारों को खेतों में हल्दी उत्पादन से जोडा गया है। लगभग 650 बीघा में हल्दी का उत्पादन किया जा रहा है। उत्पादित हल्दी को प्रोसेस यूनिट में भेजने की व्यवस्था की गई है। लगभग 2700 रूपयें प्रति क्विंटल के माध्यम से प्रोसेस यूनिट की महिलाओं द्वारा अपने ही संकुल से जुडे हल्दी उत्पादक किसानों को भुगतान किया जा रहा है। लगभग 200 टन हल्दी के भण्डारण का लक्ष्य इस वर्ष निर्धारित किया गया है। समूह से जुडी महिलाओं के परिवारों को हल्दी उत्पादन से जोडने के लिए बीज आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई है। हल्दी प्रोसेस यूनिट तथा उसमें हल्दी की आपूर्ति से सभी को लाभ मिल रहा हॅै। अध्यक्ष श्रीमती चमेली बाई आदिवासी का कहना है कि हाल ही में उन्हें पडोसी जिलें शिवपुरी जिलें से 10 क्विंटल प्रतिमाह हल्दी पावडर की आपूर्ति का आर्डर मिला है। इसके अलावा लोकल बाजार में भी हल्दी पावडर का विक्रय किया जा रहा है। हल्दी की गुणवत्ता एवं कम दाम के कारण इस यूनिट में बन रहे हल्दी पावडर को उपभोक्ताओं का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
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