खुशियों की दास्ता रन्नौद की महिला ने आईवीएफ तकनीक से दिया बालक को जन्म आयुष्मान भारत निरामयम् योजना के माध्यम से मिली खुशी श्योपुर/रन्नौद ...
खुशियों की दास्ता
रन्नौद की महिला ने आईवीएफ तकनीक से दिया बालक को जन्म
आयुष्मान भारत निरामयम् योजना के माध्यम से मिली खुशी
श्योपुर/रन्नौद गांव की महिला प्रीति की शादी के नौ साल बाद भी गोद सूनी थी। आसपड़ोस में रहने वाली कई महिलाएं प्रीति को बांझ कहने जैसे ताने मारने लगी थी। बांझपन के सामाजिक कलंक से दुखी बनी इस महिला का तब खुशी का ठिकाना नहीं रहा,जब उसने पिछले दिनों एक बालक को जन्म दिया। काफी इंतजार के बाद बच्चे की किलकारी गूंजने से घर में खुशियों से भर गया है। आईवीएफ तकनीक से मां बनी प्रीति का कहना है कि अब उसके माथे पर लगा बांझ कहलाने का सामाजिक कलंक मिट गया है।
जनपद पंचायत श्योपुर की ग्राम पंचायत नागरगांवडा के अन्तर्गत आने वाले ग्राम रन्नौद निवासी अशोक सेन की शादी 25 जून 2013 को प्रीति सेन के साथ हुई थी। शादी को हुए नौ साल बीत गए है, मगर इनके कोई संतान नहीं हुई। हालांकि उन्होंने अपने स्तर से काफी प्रयास किए, मगर कोई सफलता नहीं मिली। अशोक की आर्थिक स्थिति भी इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपनी पत्नी को किसी बड़े अस्पताल में ले जाकर उसका इलाज करवा सके। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रीति का चौकअप करने के बाद बता दिया कि प्रीति बांझपन की शिकार है। डॉक्टरों ने अशोक से आयुष्मान कार्ड बनाकर उसके जरिए इलाज करवाने की सलाह दी। इसके बाद अशोक सेन आयुष्मान कार्ड के जिला समन्वयक गुरूलाल बैरवा से मिला और उसे सारी स्थिति बताई। इसके बाद गुरूलाल बैरवा ने आयुष्मान कार्ड के माध्यम से उसकी फाइल तैयार की और आईवीएफ तकनीक के जरिए मां बनने के लिए प्रीति सेन को फरवरी 2022 में अरविंदो मेडिकल कॉलेज इंदौर भेजा गया। जहां उसकी आईवीएफ तकनीकी से इलाज की प्रकिया शुरू हुई और प्रीति गर्भवती हो गई। गत 13 नवंबर को प्रीति ने यहां जिला अस्पताल श्योपुर में नॉर्मल डिलीवरी के दौरान बच्चे को जन्म दिया। बच्चा का जन्म होने से पूरा घर खुशियां से भर गया है।
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