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आखिरी सूअर तक शहर के बाहर निकाला जाएगा:CMO

 - प्रदेश में चुनाव आने वाले हैं -शहर से सूअर जाने वाले हैं आखिरी सूअर तक शहर के बाहर निकाला जाएगा:CMO उक्त हैडलाइन 2 अलग-अलग खबरों की हैं, ...

 -प्रदेश में चुनाव आने वाले हैं

-शहर से सूअर जाने वाले हैं


आखिरी सूअर तक शहर के बाहर निकाला जाएगा:CMO

उक्त हैडलाइन 2 अलग-अलग खबरों की हैं, लेकिन कोशिश कनेक्शन तलाशने की है।

Shivpuri/


दरअसल, जैसे-जैसे प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां बढ़ रही हैं, वैसे वैसे मौजूदा जनप्रतिनिधियों पर क्षेत्रीय समस्याओं के निराकरण का प्रेशर भी बढ़ता जा रहा है, चूंकि दोबारा जनता के सामने वोट मांगने जाने का वक्त आने वाला है लिहाजा, स्थानीय समस्याओं का समाधान करना जरूरी हो गया है फिर भले ही समाधान स्थायी की बजाय तात्कालिक ही क्यों ना हो ? और किसी भी विभाग से संबंधित क्यों ना हो?  मंत्री-विधायकों के अधिकारियों को निर्देश हैं कि   सामूहिक समस्याओं के निराकरण में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए और सबकुछ चमकता-दमकता हुआ दिखना चाहिए। 

अब यही शुभ विचार पहले पथ प्रदर्शन करते तो शायद सालों पहले ही समस्याएं समाप्त हो गईं होती मगर जब जैसा मार्गदर्शन मिलता है तब तैसा ही अधिकारी काम करते हैं, उन्हें आखिर सरकार की नौकरी करनी है...सो सरकार की मानना ही होगी...  मजबूरी है।


अब बात शिवपुरी की....जहाँ पिछले कई साल से सड़कों पर सूअर विचरण करते हैं, जगह जगह सूअरों के भव्य वैभवशाली डेरे जमे हैं । पिछले सालों में कभी शूट आउट हुआ, कभी सूअर पालकों को नोटिस दिए गए, आखिर में कोर्ट तक भी सूअरों की कहानी पहुंच गई तो 

सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक हजारों सूअरों को छोड़ा गया फिर भी अजर अमर सूअर वंश का विराट साम्राज्य स्थापित रहा । 

फिलहाल, एक बार फिर सूअरों की धरपकड़ के लिए अभियान तेज कर दिया गया है..... संभव है इसके पीछे वजह प्रदेश में आगामी चुनाव का प्रेशर हो.... याफिर ना हो....


मगर यह सच है कि जल्द ही, शिवपुरी के बाशिंदों को सूअर समस्या से राहत मिलने वाली है और जनसामान्य के लिए सिरदर्द बना सूअर संकट खत्म होने वाला है। नगर पालिका सीएमओ शैलेष अवस्थी का कहना है कि शहर से सूअरों को बाहर करने की जिम्मेदारी टेंडर के जरिए एजेंसी को दी है जो तब तक सूअरों को शहर के बाहर करने का काम करेगी, जब तक आखिरी सूअर तक को शहर से बाहर नहीं कर दिया जाएगा। सीएमओ शैलेष अवस्थी ने सूअर पालकों से गुजारिश भी की है कि वो शहर की सीमा से बाहर नियमों के दायरे में रहकर सूअर पालन करें और सूअर पालन के लिए  संबंधित विभाग से माकूल सहूलियतें लें। 


बहरहाल, ये कहना मुश्किल है कि सूअरों की विदाई कितने दिन के लिए होगी ? और क्या चुनाव बाद दोबारा शहर में उनका अभिनंदन होगा ? लेकिन यह तय है कि जब तक नगरपालिका की सख्त कार्रवाई जारी रहेगी तब तक सड़कों पर सूअर नजर नहीं आएंगे!

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