खुशियो की दास्ता विमला आदिवासी ग्लिसरिन साबुन बनाकर स्वालंभन की दिशा में अग्रसर श्योपुर / श्योपुर जिले में संचालित की जा रही स्वसहायता समूह...
खुशियो की दास्ता
विमला आदिवासी ग्लिसरिन साबुन बनाकर स्वालंभन की दिशा में अग्रसर
श्योपुर / श्योपुर जिले में संचालित की जा रही स्वसहायता समूह प्रगति की रफ्तार पकड़ रहे हैं। स्वसहायता समूहों के माध्यम से स्कूली बच्चों की ड्रेस के अलावा प्रतिदिन उपयोग में आने वाली सामग्री भी तैयार कर लाभ कमाने में सहायक बन रहे हैं। इसी दिशा में जिले के ग्राम मालीपुरा की निवासी आदिवासी महिला श्रीमती विमला ने ग्लिसरिन साबुन बनाकर स्वालंभन की दिशा में रफ्तार पकड़ रही है।
जिले के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी को पहले ग्लिसरिन साबुन बनाने से होने वाले लाभ भी जानकारी नहीं थी। जब म.प्र.डे.रा.ग्रा. आजीविका मिशन के परियोजनाकर्मी उनके गावं पहुंंचे तब उनकों ग्लिसरिन साबुन बनाने की जानकारी दी। साथ ही साबुन के व्यवसाय से होने वाले लाभ से अवगत कराया। उन्होंने आदिवासी विकासखण्ड कराहल के अंतर्गत संचालित समूहों द्वारा ग्लिसरिन साबुन बनाने की जानकारी प्राप्त की। साथ ही आधा किलो ग्लिसरिन देकर इसे गर्म करके इसे साबुन का रूप दिया। इस साबुन को बनाने में गुलाब की पत्तियों का उपयोग किया। जिससे इस साबुन में खुशबू की महक आने लगी। इसका उपयोग स्वसहायता समूह की अन्य महिलाओं ने भी किया। साथ ही उनकों साबुन का उपयोग करने में अच्छा प्रतीत हुआ।
जिले के कराहल विकासखण्ड के ग्राम मालीपुरा की निवासी श्रीमती विमला आदिवासी ने ग्लिसरिन युक्त साबुन बनाने का कार्य प्रारंभ किया। साथ ही समूह की महिला और आदिवासी परिवारों को साबुन के उपयोग से स्वच्छता तथा सफाई से रहने की भी प्रेरणा दी। श्रीमती विमला आदिवासी ने बताया कि ग्लिसरिन साबुन त्वचा को हर समय मॉइस्चराइज रखता है। जिसके कारण त्वचा को झुर्रीयों और खिंचाव दूर करने में ग्लिसरिन साबुन काफी उपयोगी होता है। इसी प्रकार सूखी एवं संवेदनशील त्वचा वाले लोगो के लिये ग्लिसरीन साबुन अच्छा विकल्प भी है।
कराहल विकासखण्ड के ग्राम मालीपुरा निवासी श्रीमती विमला आदिवासी ने कहा कि एनआरएलएम के माध्यम से स्वसहायता समूहों को आगे बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में आदिवासी महिलाओं को विभिन्न प्रकार की सामग्रियां तैयार करने में मदद मिल रही है। ग्लिसरिन साबुन बनाने से मेरा मालीपुरा स्वसहायता समूह प्रगति की रफ्तार पकड़ रहा है। यह सब करिश्मा मप्र सरकार के माध्यम से संचालित आजीविका मिशन और जिला प्रशासन के माध्यम से परिलक्षित हुआ है।
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