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मछलीपालन, सिलाई और आइसक्रीम का ठेला लगाकर बदली कलियाबाई कुशवाह की तकदीर

  सफलता की कहानी मछलीपालन, सिलाई और आइसक्रीम का ठेला लगाकर बदली कलियाबाई कुशवाह की तकदीर मुरैना / कराहल विकासखंड निवासी 38 वर्षीय कलियाबाई क...

 


सफलता की कहानी

मछलीपालन, सिलाई और आइसक्रीम का ठेला लगाकर बदली कलियाबाई कुशवाह की तकदीर

मुरैना / कराहल विकासखंड निवासी 38 वर्षीय कलियाबाई कुशवाह के पति अनपढ़ थे, पुश्तैनी दो तीन बीघा जमीन में फसल उगाकर गुजारा नहीं चला तो उन्होंने आजीविका मिशन से जुड़कर मछलीपालन, सिलाई मशीन और पति को आइसक्रीम ठेला लगवाकर अपने परिवार की तकदीर बदल दी। 

कराहल निवासी श्रीमती कलिया बाई की बहुत छोटी उम्र में कराहल के ही गरीब परिवार रामजीलाल कुशवाह से विवाह हो गया रामजीलाल कुशवाह अनपढ़ होने के कारण नौकरी नहीं कर सकते थे। पुश्तैनी दो-तीन बीघा जमीन थी वह भी असिंचित थी तो दो फसल तो नहीं एक फसल पर ही आश्रित थे। एक फसल में जो भी पैसा मिलता उससे ही पूरी साल गुजारा करना पड़ता था। उन पर दो लड़का व दो लड़कीयां भी थीं। धीरे धीरे ग्रहस्थी का भार और बढ़ने लगा। महंगाई के दौर में अपना पेट पालना उनके लिये कठिन बनता जा रहा था। एक दिन ग्राम पंचायत में मध्यप्रदेश डे ग्रामीण आजीविका मिशन के नोडल सभी महिलाओं की मीटिंग ले रहे थे। मीटिंग में श्रीमती कलियाबाई भी वहां उपस्थित हो गईं जिस तरह अन्य महिलाओं का जुड़ाव देखकर वह भी नोडल की बातें गंभीरता से सुनने लगीं और उसने भी अपनी सहमति सदस्य के रूप में दे दी। धीरे धीरे समूह से सदस्य के तौर पर 20 हजार रूपये का ऋण लिया और आइसक्रीम का ठेला पति को लगवा दिया। प्रतिदिन 100-200 रूपये की आय होने लगी। फिर कलियाबाई ने सिलाई मशीन के लिये 20 हजार रूपये का ऋण ले लिया कलिया बाई आस पड़ौस के बच्चों के कपड़े सीने लगी प्रतिदिन 400 से 500 रूपये आय होने लगी और जो ऋण लिया उसे भी धीरे धीरे पटाने लगी। कलिया बाई पर आय के स्त्रोत बढे तो कलियाबाई ने आजीविका मिशन के सहयोग से कराहल के तालाब में मछली पालन शुरू कर दिया। इस प्रकार धीरे-धीरे कलियाबाई की तकदीर बदलती गई और उसने दो तालाब दस वर्ष के लिये शासन द्वारा पटटे पर ले लिये। वर्तमान में दोनों तालाब से मछली पालन का कार्य एवं सिलाई का कार्य अच्छा चल निकला। मछलियों की मंडी भी श्योपुर, सबलगढ, विजयपुर होने लगी। एक माह में 30 से 35 हजार रूपये की आय प्राप्त होने लगी। कलियाबाई इस आय से अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने लगीं और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ 


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