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भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान करता गुना वन मण्डल। डीएफओ के संरक्षण में धांधली

  भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान करता गुना वन मण्डल। डीएफओ के संरक्षण में धांधली  गुना दक्षिण रेंज के बिलोनिया प्लांटेशन में मिट्टी खनन से , ई...

 




भ्रष्टाचार की गंगा में स्नान करता गुना वन मण्डल। डीएफओ के संरक्षण में धांधली 


गुना दक्षिण रेंज के बिलोनिया प्लांटेशन में मिट्टी खनन से , ई टेंडर का फर्जी भुगतान ।


शिवपुरी /गुना वन मण्डल में जंगलों का सफाया होने के बाद प्लांटेशनों में पौधरोपण के नाम कमीशन खोरी का खेल चरम पर है। केंपा मद सहित तेंदूपत्ता कमीशन की राशि को प्लांटेशनों के नाम जमकर बंदर बांट मचाई हुई है। लगातार खबरों के प्रकाशन के बाद भी भ्रष्ट वन कर्मी सहित अधिकारियों का बेखौफ होना स्वतः ही बंदर बांट कमीशन खोरी का सबूत है। वर्तमान में गुना दक्षिण रेंज के बिलोनिया में दो प्लांटेशनों का कार्य जारी है। इनमे से एक तेंदू पत्ता कमीशन की राशि से 20 हेक्टेयर का जिसमे 15000 हजार पोधरोपण गड्डे लगना हे। दूसरा 30 हेक्टेयर केंपा मद से जिसमे 16000 हजार गड्डे लगना हे। अभी इन प्लांटेशनों में गड्डे पूरे नही खुदे इससे पहले ही वन विभाग के जिम्मेदारों ने गोबर खाद और मिट्टी का संग्रहण चालू कर दिया । खास बात यह रही मिट्टी और खाद डालते समय वन आरक्षक के अलावा और कोई जिम्मेदार मौके पर उपलब्ध नहीं था , जबकि वाहन की एंट्री और उसकी खाद मिट्टी की नपाई के लिए डिप्टी से लेकर रेंजर और एसडीओ को मौके पर मौजूद रहना था । अब इसमें सवाल ये है वन विभाग नपाई ढुलाई केसे तय करेगा अथवा सारा काम कागजों में ही ओके कर दिया जाएगा ,बिना किसी सक्षम अधिकारी के ।



वन विभाग ने जंगल से उठाई मिट्टी, जबकि भुगतान ई टेंडर से फर्म को 



मौके पर पहुंची जागरण की टीम ने बिलोनिया प्लांटेशनों का जायजा लिया । इसमें लगभग पौधरोपण के गड्ढों में डलने वाली मिट्टी की पूर्ति कर ली गई है। मजेदार बात ये है वन विभाग ने ही जंगल से अवैध उत्खनन कर मिट्टी की पूर्ति कर ली जिसकी कीमत लाखों में हे। जबकि नियमानुसार मिट्टी और खाद का वन विभाग ई टेंडर में जारी फर्म को मिट्टी और खाद का भुगतान करता है ,जबकि मिट्टी वन विभाग प्लांटेशन से कुछ ही दूरी से अवैध उत्खनन कर पूर्ति कर रहा ।ओर फर्जी भुगतान फर्म से सांठ गांठ कर कमीशन की भेंट चढ़ेगी या चढ़ चुकी है। इसी तरह गोबर खाद भी गुना के पास सिंगवासा गांव से खरीदी की जा रही है। ट्रैक्टरों से गोबर खाद लाते चालको से पूछा तो उनका कहना था गोबर खाद सिंगवासा से प्रति एक हजार रुपए ट्राली लाई जा रही है। 




सीपीटी जेसीबी से मजदूरों को दस रुपए प्रति गड्ढा नगदी भुगतान । 


बिलोनिया के दोनो प्लांटेशनों में सीपीटी खंती का कार्य जेसीबी से किया गया है। जबकि भुगतान मजदूरों को दर्शा कर किया गया है। जिसे फर्जी भुगतान और फर्जी व्हाउचर के माध्यम से किया जाता है। वही जो मजदूर मौके पर गड्ढा खोद रहे उनको दस रुपए प्रति गड्डे के हिसाब से नगद भुगतान दिया जा रहा है। जबकि वन विभाग के तय दर अनुसार लगभग प्रति पौधरोपण गड्डे की तय दर 18 रुपए हे ।



पैसे हड़पने दोहरी सीपीटी ।


गुना दक्षिण वन विभाग का मजदूरों का काम मशीनों से एक तिहाई राशि में करने से भी मन नही भरा । इसके बाद गड्डे खुदाई में मजदूरों को तय दर से तकरीबन आधा भुगतान करके भी  शांति नही हुई । जब इन सब से भी वन विभाग का पेट नही भरा तो केंपा प्लांटेशन के एक भाग में दोहरी सीपीटी खंती जेसीबी मशीन से बनवा डाली । जिसमे साफ साफ देखा जा सकता है प्लांटेशन की राशि को जमकर लूटा जा रहा है।



गड्डों की गहराई में भी धांधली ।


मौके पर जाकर हमारे द्वारा तकरीबन एक सैकड़ा से अधिक पौधरोपण गड्ढों की गहराई और चौड़ाई नापी गई । वन विभाग के नियमानुसार पोधरोपण गड्ढों की साइज गहराई और चौड़ाई डेड डेड फिट 18 इंच गहराई और 18 इंच चौड़ाई होनी चाहिए । पर जमीनी हकीकत में 100 में से पांच गड्डे भी अपनी तय मात्रा के अनुरूप नहीं खुदे । गहराई में गाड्डो की अनुपात गहराई दस बारह तो किसी किसी की 14 इंच गहराई निकली जो तय मात्रा के अनुरूप बिलकुल नहीं हे । जाहिर हे जब गड्ढों की साइज निर्धारित नही है तो उसमे डलने वाली खाद मिट्टी का अनुपात भी कम रहेगा , साथ ही जो पौधे लगने हे उनकी ग्रोथ पर भी असर पड़ेगा और जब पौधे की जड़ नही फैलेगी तो पोधा नष्ट होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। इन सब धांधलियों के चलते गुना डीएफओ की चुप्पी गुना दक्षिण रेंज के जिम्मेदारों पर संरक्षण और कमीशन खोरी का खेल बया करता है।

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