खुशियो की दास्ता कड़कनाथ प्रजाति सहरिया परिवारों के लिए आमदनी जुटाने में हो रही सहायक श्योपुर / मप्रडे आजीविका मिशन जिले के आदिवासी बाहुल्य...
खुशियो की दास्ता
कड़कनाथ प्रजाति सहरिया परिवारों के लिए आमदनी जुटाने में हो रही सहायक
श्योपुर / मप्रडे आजीविका मिशन जिले के आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड कराहल के क्षेत्र में सहरिया परिवारों को देशी मुर्गीपालन के स्थान पर उनकी आर्थिक स्थिति की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की कड़ी में कड़कनाथ मुर्गीपालन सहरिया परिवारों के लिए आमदनी जुटाने में सहायक हो रहे है।
जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के क्षेत्र में विशेष पिछड़ी जाति सहरिया के परिवार पूर्व में देशी मुर्गीपालन में भरोसा रखते थे। इन गावों में आजीविका मिशन के पीएफटी सदस्यों द्वारा प्रेरणा दी, कि देशी मुर्गीपालन के स्थान पर कड़कनाथ बहुआयामी नसल के चूजे प्राप्त कर उनका पालन पोषण करने के उपरांत अधिक राशि में बेचने से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस दिशा में जिला प्रबंधक पषुपालन की विषेष प्रेरणा एवं प्रयासों से पी.एफ.टी. सदस्यों के साथ प्रषिक्षण एवं भ्रमण के माध्यम से कड़कनाथ बहुआयामी नस्ल के बारे में सहरिया परिवारों के बाड़े में पहुंचकर उनकों कड़कनाथ की पैदावार के बारे में जानकारी दी। साथ ही झाबुआ जिले में विशेष परिस्थितियों में पाली जाने वाली कड़कनाथ प्रजाति की तकनीक समझाइ गई।
आजीविका मिशन के परियेजना संचालक ने पीएफटी सदस्यों एवं पशुपालन विभाग के मैदानी अमले के साथ आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र कराहल के परिवारों को कड़कनाथ मुर्गीपालन करने की दिशा में जनजाग्रति लाने के प्रयास किए गए। इन प्रयासों के अंतर्गत आदिवासी बाहूल्य क्षेत्र के सहरिया परिवार तकनीकी ज्ञान के साथ कड़कनाथ के चूजे प्राप्त कर उनकें पालन-पोषण में सहायक बन रहे हैं। साथ ही कड़कनाथ प्रजाति के चूजों के लिए विषेष आवास एवं रहन सहन की व्यवस्था के लिए दिए गए मार्गदशर्न को अपनाते हुए कराहल क्षेत्र के 4 गावों में 65 हितग्राहियों के 40 यूनिट के मान से 2600 मुर्गे पालने की दिशा में प्रयास प्रारंभ किए।
इस दिशा में कलेक्टर ने भी विभागीय अमले के माध्यम से कड़कनाथ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में सहरिया परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। वर्तमान में सहरिया बाहूल्य कराहल क्षेत्र के 4 गावों में 65 हितग्राहियों के यहां कड़कनाथ के बच्चे बड़े होकर उनकी आमदनी में 900-1000 रू. प्रति मुर्गा एवं 30/- रू. प्रति अण्डा की दर से विक्रय किया जा रहा है। साथ ही एक सहरिया परिवार करीबन 40 मुर्गा एवं 500 अण्डे बेचने में सहायक बन रहा है। इस दिशा में हो रही अच्छी आमदनी से सहरिया परिवार कड़कनाथ पालन में अपनी रूचि बढ़ा रहे हैं। साथ ही अपने कमजोर बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य की दिशा में भी कड़कनाथ भोजन के रूप में सहायक बन रहा है।
जिले के आदिवासी विकासखण्ड कराहल के निवासी श्री मुकेश सहरिया, गौरस के श्री रामसिंह और श्री रामचरण आदिवासी ने बताया कि आजीविका मिशन, पशुपालन विभाग और जिला प्रशासन की मदद से सहरिया परिवार कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गीपालन में सहायक बन रहे हैं। साथ ही करीबन 01 हजार रूपए प्रति मुर्गा और 30 रूपए प्रति अण्डा बेचकर तरक्की की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह सब करिश्मा मप्र सरकार द्वारा आजीविका मिशन, पशुपालन और जिला प्रशासन के सहयोग से किए गए प्रयासों का ही प्रतिफल है। जिसके कारण कड़कनाथ पालन से हमारी आर्थिक तरक्की की रफ्तार भी आसान हो गई है।
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