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मधुसूदनगड़ वन विभाग में भ्रष्टाचार बेलगाम , कृष्ण मृग का केश अब भी कागजों में कैद

  मधुसूदनगड़ वन विभाग में भ्रष्टाचार बेलगाम , कृष्ण मृग का केश अब भी कागजों में कैद  शिवपुरी /मधुसूदनगढ वन परिक्षेत्र में भ्रष्टाचार नए आयाम...

 


मधुसूदनगड़ वन विभाग में भ्रष्टाचार बेलगाम , कृष्ण मृग का केश अब भी कागजों में कैद 

शिवपुरी /मधुसूदनगढ वन परिक्षेत्र में भ्रष्टाचार नए आयाम स्थापित कर रहा है। वित्तीय गबन से लेकर जंगल कटाई लकड़ी माफिया को बेलगाम बनाने का पर्याय बन चुका है। बड़ी तादात में लकड़ी माफिया दिन के उजाले में ही स्टेट हाइवे से दर्जनों की तादात में बेशकीमती लकड़ी लेकर वन विभाग को चुनौती दे रहे या मिलीभगत के चलते लकड़ी माफिया बेखौफ होकर बेशकीमती  लकड़ी जंगलों से निडर होकर सप्लाई कर रहे।मधुसूदन गड़ वन विभाग पर उंगली उठाना लाजमी है। 2020_021 के प्लांटेश्नो में जमकर धांधली वन विभाग की पोल खोल कर रखता है। यहां बंजला में केम्पा मद के दो प्लांटेश्नो में खुले आम आंखों में धूल झोंकने का कार्य किया गया है। दोहरी सुरक्षा के लिहाज से सीपीटी खंती सीपीडब्ल्यू पत्थर की दीवाल जैसे कार्य सिर्फ जेब भरने के लिए किए गय हे। मौके पर जाकर बंजला के प्लांटेशन जाकर देखा जाए तो एक आम इंसान भी भ्रष्टाचार की सारी परते खोल कर रख देगा । पर वन विभाग के आला अधिकारियों ये सब नही दिखाई देता। ऐसा ही एक मामला काले हिरण और नील गाय के शिकार हे। जिसमे शिकारियों के कब्जे से एक चार पहिया वाहन मौके पर पकड़ा गया था और शिकारी भागने में कामयाब हुए थे । इन सब में हैरानी की बात है वन विभाग ने शिकार से जुड़े गंभीर मामले को कालातीत में डाल दिया । जिसकी फाइल आज भी मधुसूदन गड़ परिक्षेत्र में धूल खा रही । जबकि नियमानुसार मामले में गंभीरता के साथ जांच कर शिकारियों की तलाश की जानी चाहिए थी जो हुई नही । वही सूत्रों की माने तो शिकारियों से लेन देन करने के बाद छोड़ दिया गया , ओर इसी लेन देन के कारण आज भी शिकार की फाइल कागजों में दफ्न है।

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