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नन्हे-मुन्ने आरव जब पहली बार बोले तो खुशी से झूम उठी मोहिनी

  खुशियों की दासतां  नन्हे-मुन्ने आरव जब पहली बार बोले तो खुशी से झूम उठी मोहिनी   ग्वालियर / नन्हे-मुन्हे आरव ने जब पहली बार हाथों के इशारे...

 खुशियों की दासतां 

नन्हे-मुन्ने आरव जब पहली बार बोले तो खुशी से झूम उठी मोहिनी


 

ग्वालियर / नन्हे-मुन्हे आरव ने जब पहली बार हाथों के इशारे के बजाय कुछ अस्पष्ट शब्द बोलकर यह एहसास कराया कि अब हमें सुनाई देने लगा है, तो मोहिनी – रामनरेश शर्मा दम्पत्ति खुशी से झूम उठे। जन्म से ही बोलने व सुनने में असमर्थ अपने बेटे के इलाज के लिए इस दम्पत्ति ने न जाने कितने अस्पतालों के चक्कर लगाए, पर निराशा ही हाथ लगी। आरव के कान के ऑपरेशन के लिये भारी-भरकम रकम का इंतजाम वे चाहकर भी नहीं कर पा रहे थे। प्रदेश सरकार ने साढ़े 6 लाख रूपए खर्च कर आरव की कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी कराई है। 

ग्वालियर शहर के शर्मा फार्म हाउस क्षेत्र की निवासी श्रीमती मोहिनी शर्मा बताती हैं कि आरव थोड़ा बड़ा हुआ तब पता चला कि वह बोलने व सुनने में असमर्थ है। आरव को कई अस्पतालों में दिखाया सभी का एक ही जवाब था कि इसका इलाज कोक्लियर इम्पलांट सर्जरी है, जिस पर लगभग साढ़े 6 लाख का खर्चा आयेगा। इतनी बड़ी भारी रकम सुनकर मेरे तो पैरों तले की जमीन खिसक गई और लगा कि शायद मेरा बेटा जीवन भर श्रवण बाधित बना रहेगा। 

मोहिनी बताती हैं कि एक दिन मुझे अपनी बस्ती के आंगनबाड़ी के जरिए सूचना मिली कि आपके बेटे का इलाज सरकार करायेगी। जल्द ही जिला चिकित्सालय मुरार में आरव की नि:शुल्क जाँचें की गईं। इसके बाद राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शहर के प्रतिष्ठित अस्पताल (अग्रवाल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर) में मेरे बेटे के कान की कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी हो गई। मोहिनी भावुक होकर कहती हैं कि आरव की स्पीच थैरेपी का खर्चा भी सरकार वहन कर रही है। उनका कहना है कि सच में देश व प्रदेश में गरीबों की हितैषी सरकारें काबिज हैं। 

(मोहिनी शर्मा मोबा. नं. 6263591975)

हितेन्द्र सिंह भदौरिया

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