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उन्नत खेती के संस्थान बन गए हैं नाहर…

  खुशियों की दास्तां  उन्नत खेती के संस्थान बन गए हैं नाहर… ग्वालियर / एक ओर गेंदा-गेंदी की मनमोहक छटा तो दूसरी ओर गुलाबी रंगत बिखेरते गुलाब...

 





खुशियों की दास्तां 

उन्नत खेती के संस्थान बन गए हैं नाहर…

ग्वालियर / एक ओर गेंदा-गेंदी की मनमोहक छटा तो दूसरी ओर गुलाबी रंगत बिखेरते गुलाब के पौधे। एक तरफ चेप्रो प्रजाति के मुर्गों का पॉल्ट्री फार्म तो दूसरी तरफ वर्मी कम्पोस्ट इकाई। इसी तरह एक किनारे पीला सोना अर्थात हल्दी की सौंधी महक तो दूसरे किनारे लहलहाते आलू और अमरूद के पौधे। मात्र पाँच बीघा में फैला “नम्बरदार कृषि फार्म” यह सब अपने भीतर समेटे है और सफल उन्नत खेती की दास्तां बयां कर रहा है। 

यह कहानी है ग्वालियर शहर से सटे ग्राम गिरवाई के उन्नत कृषक श्री नाहर सिंह कुशवाह की। नाहर सिंह ने कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर उन्नत कृषि के क्षेत्र में नए और प्रेरणादायी आयाम स्थापित किए हैं। छोटे से कृषि फार्म से नाहर सिंह को हर साल औसतन तीन से पाँच लाख रूपए की आमदनी हो रही है।   

नाहर सिंह बताते हैं कि पहले हम पारंपरिक खेती करते थे, जिससे न के बराबर आमदनी होती थी। राज्य सरकार के कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग की योजनाओं से हमारा जीवन ही बदल दिया है। वे बताते हैं कि वर्तमान में हमने अपने फार्म में दो बीघा में गुलाब, पत्तागोभी, प्याज व मटर की मिश्रित खेती कर रखी है। इससे हर माह 30 हजार रूपए की आमदनी हो रही है। इसके अलावा लगभग 40 हजार रूपए के गेंदा-गेंदी के फूल बिक जाते हैं।   कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से हमने पॉल्ट्री फार्म खोला है। इसमें वर्तमान में चेप्रो प्रजाति के लगभग 50 मुर्गा-मुर्गी हैं। एक मुर्गा 500 से 800 रूपए में और अण्डा 15 रूपए का बिक जाता है। पॉल्ट्री फार्म से लगभग 10 हजार रूपए की आमदनी प्रतिमाह हो जाती है।

अपने कृषि फार्म में नाहर सिंह हल्दी व आलू का उत्पादन भी करते हैं। उन्हें उम्मीद है कि 75 हजार रूपए का आलू भी बेचेंगे। बैगन और अन्य सब्जियों से हो रही आमदनी अलग है। 

भारतीय संस्कृति में रची-बसी संयुक्त परिवार व्यवस्था में नाहर सिंह को गहरी आस्था है और वे अपने कृषि फार्म में मकान बनाकर तीन भाईयों के संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं। वे कहते हैं कि जिस प्रकार विविध फसलों से हमारे खेतों में हरियाली की चादर बिखरी है, उसी तरह संयुक्त परिवार व्यवस्था से हमारे परिवार में खुशियों की महक छाई रहती है। 

नाहर सिंह अपने आप में उन्नत खेती के एक संस्थान बन गए हैं। विभिन्न कृषि संस्थानों के विद्यार्थी उनके कृषि फार्म का भ्रमण करने आते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र के अधिकारियों ने भी पिछले दिनों उनके फार्म का जायजा लिया था और तारीफ की थी। 

नए-नए अनुसंधानों में भी जुटे हैं 

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन चुके नाहर सिंह कुशवाह कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान भी कर रहे हैं। स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त नाहर सिंह ने अपने फार्म हाउस में अमरूद की लखनऊ-49, ग्वालियर-27 और बिलौआ-122 व ललित प्रजाति के पौधे लगाए हैं। उनका कहना है कि इन किस्मों के मिश्रण से हम अमरूद की एक नई किस्म ईजाद करेंगे, जिसका फल तो मीठा होगा ही, साथ ही उत्पादन भी अधिक होगा। 

देशभर के प्रतिष्ठित कृषि संस्थानों की सैर कर चुके हैं नाहर 

नाहर सिंह कुशवाह बताते हैं कि कृषि विभाग के सहयोग से हमने कृषि अनुसंधान केन्द्र दिल्ली, लखनऊ और भोपाल सहित देश के प्रसिद्ध कृषि अनुसंधान केन्द्रों का भ्रमण किया है। इन केन्द्रों में मुझे जो भी अच्छा लगा उसे हमने अपने फार्म हाउस में मूर्तरूप दिया है। 

जैविक व मिश्रित खेती पर अधिक भरोसा 

नाहर सिंह बताते हैं कि हम अपने फार्म हाउस में एक फसल लगाने के बजाय मिश्रित फसलें लेते हैं, जिससे यदि एक फसल को कोई रोग लग भी जाए तो दूसरी फसल से उसकी भरपाई हो जाती है। वे बताते हैं कि अब हमने रासायनिक खेती की बजाय जैविक खेती को अपना लिया है। अपने फार्म में हम गौमूत्र से दवाईयाँ बना रहे हैं। साथ ही बेस्ट डी कम्पोजर भी पैदा करते हैं। सरकार से मिले अनुदान से हमने गोबर गैस प्लांट भी लगाया है, जिससे हम कम्पोस्ट खाद मिल जाता है। इस साल हमने बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट इकाईयाँ भी स्थापित की हैं। 

(कृषक नाहर सिंह का मोबा. नं. 9131248790)


हितेन्द्र सिंह भदौरिया

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