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तिमाही बजट दो माह से पहले ही लगाया ठिकाने , मामला सीसीएफ के सेवानिवृत से पहले कमीशन का

  अजब वन विभाग के गजब कारनामे । तिमाही बजट दो माह से पहले ही लगाया ठिकाने , मामला सीसीएफ के सेवानिवृत से पहले कमीशन का । शिवपुरी /गुना वन मण...

 



अजब वन विभाग के गजब कारनामे ।

तिमाही बजट दो माह से पहले ही लगाया ठिकाने , मामला सीसीएफ के सेवानिवृत से पहले कमीशन का ।

शिवपुरी /गुना वन मण्डल में अजब वन विभाग के गजब कारनामों का शिलशीला जानकर आप चौक जायेंगे। गुना वनमण्डल की कमान वर्तमान सीसीएफ शिवपुरी डीके पालीवाल के संभालने से लेकर अब तक एक से बडकर एक कारनामे सामने आए हैं। इनमे से कुछ तो इतने हैरान करने वाले हैं जिनकी कल्पना भी नही की जा सकती है। ऐसे ही कुछ मामलों से आपको रूबरू कराया जाएगा जिनको सुनकर आपके जहन में वन विभाग के कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क नजर आएगा । साथ ही गुना वन मण्डल के जिम्मेदार डीएफओ और एसडीओ भी सीसीएफ के साथ कदम ताल में बराबर का साथ देते नजर आएंगे । कोरोना काल से लेकर वर्तमान समय तक केसे वन विभाग ने प्लांटेशनो में एनपीवी सहित तेंदूपत्ता कमीशन की राशि की बंदरबांट की है । ओर शिकायतों पर केसे डीएफओ हेमंत रायकवार व एसडीओ आरसी डामोर ने गुमराह किया है। इसी तरह वर्तमान में चल रहे आठों रेंजों में प्लांटेशनों का तिमाही बजट दो माह से पहले ही लगभग पूरा कर लिया है। सूत्रों की माने तो इसके पीछे की वजह फरवरी में ही सीसीएफ शिवपुरी डीके पालीवाल का रिटायरमेंट हे और कमीशन की राशि भी बटोरना हे।इसी के चलते गुना वनमण्डल ने तिमाही बजट को दो माह पूरे होने से पहले ही ठिकाने लगा दिया ।

मामला 2020_21 के केम्पा प्लांटेशनों का ।

कोरोना काल के दौरान जिस समय पूरी दुनिया में दहशत का माहौल था , जिसमे मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा बेबस और लाचार था । उसी मजदूर के पलायन को रोकने और उसको आर्थिक मजबूती के लिए वन विभाग में मजदूरी मद में केम्पा प्लांटेशनों का कार्य स्वीकृत किया गया । सबसे बड़ी बात गुना वनमण्डल ही पूरे प्रदेश में इकलौता था जिसमे सुरक्षा के लिए दोहरी सुरक्षा का प्रावधान किया गया । दोहरी सुरक्षा में सीपीटी (खंती) सीपीडब्लू (पत्थर की दीवाल ) को निर्धारित साइज व निर्धारित मजदूरी दर तय थे । साथ ही पौधरोपण के गड्ढों में खाद मिट्टी भी ई टेंडर प्रक्रिया से फर्मों से खरीदनी थी । इन सभी कार्यों में जमकर धांधली व बंदरबांट का खेल किया गया। मधुसूदन गड़ वन परिक्षेत्र में तो इस योजना के तहत बंजला प्लांटेशनों में जो की पी 757 में दो प्लांटेशन स्वीकृत थे जिनमे जाकर देखा जाए तो सारा खेल पानी की तरह साफ साफ नजर आ जाएगा । एक एक करोड़ से ऊपर की राशि के स्वीकृत बंजला के प्लांटेशन चीख चीख कर भ्रष्टाचार की गवाही दे रहे । इसी तरह बमोरी का धरावला प्लांटेशन भी आज वीरान डला है इस प्लांटेशन की राशि भी एक करोड़ से ऊपर स्वीकृत हे।

शिकायतों पर एक तरफा जिम्मेदारों का हास्यास्पद निपटारा।

जब बमोरी के धारावला प्लांटेशन की शिकायत वर्तमान डीएफओ हेमंत रायकवार से आरटीआई से प्राप्त जानकारी अनुसार दस्तावेजों के साथ की गई तो ,बदले में डीएफओ हेमंत रायकवार का बड़ा ही गजब जवाब लिखित में दिया । जवाब में डीएफओ हेमंत रायकवार लिखित दस्तावेजों के उत्तर में लिखा आपकी आरटीआई की दस्तावेज एक वर्ष पुराने हो चुके हे, आप दोबारा जानकारी हासिल करे ओर तब शिकायत करें । अब डीएफओ हेमंत रायकवार ने यह जवाब संविधान के किस अनुच्छेद में किया इसकी जानकारी नहीं दी और न ही हमे अभी तक सविधान में एक वर्ष बाद आरटीआई के दस्तावेजों को वैलिड नही माना जाता ऐसा कुछ मालूम हुआ । पर हो सकता है वन विभाग में संविधान की नई किताब और नए कानून स्थापित हुए हो जिनके आधार पर आरटीआई से प्राप्त वैलिड दस्तावेजों को मजाक बना दिया।

ऐसे ही वन विभाग के एसडीओ रामचंद्र डामोर जिन्होंने 181 पर प्लांटेशनों की शिकायत पर बड़ा चौकाने वाला और विचलित करने वाले समाधान कर डाले ,ओर डीएफओ हेमंत रायकवार ने स्पेशली शिकायत को एक तरफा बंद कर दिया । शिकायत कर्ता द्वारा बताया गया 181 सीएम हेल्पलाइन पर प्लांटेशनों में मजदूरों का मशीनों से कराया जाना व मिट्टी वन विभाग से ही अवैध उत्खनन कर पौधरोपण के गड्ढों में लाना साथ ही गड्ढों की साइज भी निर्धारित नही है ,इस शिकायत के सामधन में एसडीओ आरसी डामोर जो की वर्तमान में पैरालाइसिस है और उपचार चल रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार एसडीओ आरसी डामोर बिना किसी सहारे के ज्यादा चलना तो दूर खड़े भी नही रह सकते । उन्ही आरसी डामोर ने 50 हेक्टेयर के प्लांटेशनों में घूम फिर कर जायजा लिया, गड्ढों की साइज भी नाप ली साथ मिट्टी भी चालान से डलवा ली। अब इसको क्या कहेंगे आप अजब वन विभाग के गजब कारनामे । 

आरटीआई में चौकाने वाले खुलासे ।

वर्ष 2020_021 के केम्पा प्लांटेशनों में जमकर धांधली और भ्रष्टाचार किया गया। जिसमे वर्तमान सीसीएफ शिवपुरी और तत्कालीन गुना डीएफओ रहते हुए डीके पालीवाल ने सारे भ्रष्टाचार के खेल को संरक्षण दिया और बंदरबांट का खेल शुरू हुआ।

1 ,व्यवसाई , धन्ना सेठों, चारपहिया बडी बडी इमारतों वालो को , खनन माफियाओं व वन कर्मियों के परिचित रिस्तेदारो को फर्जी मजूदर दर्शा कर उनके खातों में हजारों लाखों रुपए डाले गाए। एक जगह तो पत्नी को पुत्र बता कर फर्जी मजदूर बताकर भुगतान किया जा रहा। 

2 खाद ,मिट्टी भी आस पास अवैध उठाकर ई टेंडर कंपनियों को लाखो का फर्जी भुगतान किया गया। अगर इन शिवपुरी और भोपाल की कंपनियों से माइनिंग की शर्ते और खदानों की जानकारी निकलवाई जाए तो सारा खेल निकलकर सामने आ जाएगा ।

3 , बमोरी के धारवाला प्लांटेशन में मजदूरों ने पूरा जून ओर जुलाई का महीना लगातार काम किया बिना किसी छुट्टी के । ओर हैरानी की बात इस समय बारिश भी अधिक रहती है,तब भी मजदूर काम करते रहे सीपीटी खंती खोदते रहे । जबकि बारिश के समय प्लांटेश्नों के क्षेत्रीय प्रस्तावित कार्य प्रतिबंधित रहते हैं,इसके बावजूद मजदूरों से कार्य कराया गया।

4  जो दस्तावेज आरटीआई से प्राप्त हुए हे, उनमें प्राप्त व्हाउचारो में डीएफओ ,एसडीओ के सिग्नेचारो को छुपा गया है। पर गौर से देखने पर थोड़ा थोड़ा नजर आता है। प्राप्त जानकारी अनुसार डीएफओ आरसी विश्वकर्मा के समय में व्हाउचर तैयार किए गए हैं। जबकि तत्कालीन डीएफओ आरसी विश्वकर्मा द्वारा इन कार्यों पर स्वीकृति नहीं दी थी । आरसी विश्वकर्मा के ट्रांसफर के बाद कमान संभाली डीके पालीवाल ने, ओर फिर शुरू हुआ बैक डेट में व्हाउचारो का । ओर इसी कारण वश आरटीआई में प्राप्त व्हाचारो से डीएफओ और एसडीओ के सिग्नेचर गायब थे । 

5  सीपीटी खंती का कार्य किसी भी प्लानेशन में मजदूरों से नही हुआ जेसीबी मशीन कराया गया है। जिसके प्रमाण खुद सीपीटी खंती बया करती है। असल मजदूरों को उनकी मजदूरी तय दर अनुरूप नहीं मिली । जबकि फर्जी मजदूरों के खातों में उक्त तय मजदूरी राशि डाली गई है। जिसके प्रमाण भी आरटीआई कार्यकर्ता के पास मौजूद हैं।

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