मधुसूदनगड़ वन विभाग बना भ्रष्टाचार का पर्याय । जल्द ही मामला पहुंचेगा लोकायुक्त में भोपाल से आए जांच अधिकारी की भी जेब गर्म ,सूत्र शिवपु...
मधुसूदनगड़ वन विभाग बना भ्रष्टाचार का पर्याय । जल्द ही मामला पहुंचेगा लोकायुक्त में
भोपाल से आए जांच अधिकारी की भी जेब गर्म ,सूत्र
शिवपुरी /मधुसूदनगड़ वन परिक्षेत्र अंतर्गत प्लांटेशनों में जमकर भ्रष्टाचार कर वारे न्यारे किए गए हैं। तकरीबन एक दर्जन के करीब वर्ष 2019_20 के प्लांटेशनों में भ्रष्टाचार का नया अध्याय गुड़ा गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले बजट में प्रस्तावित प्लांटेशनों में चेनलिंग का प्रावधान किया गया था। पर बाद में सुनियोजित तरीके से प्लांटेशनों की दोहरी सुरक्षा का प्रावधान के लिए सीपीटी (खंती) सीपीडब्ल्यू (पत्थर की दीवाल) का प्रस्ताव कर दिया गया। यहीं से शुरू हुआ भ्रष्टाचार का खेल । उक्त कार्य मजदूरी मद में प्रस्तवित थे , पर मौके पर देखा जाए तो सीपीटी का समस्त कार्य जेसीबी मशीन से होना दिखाई देगा । ओर फर्जी मजदूरों के बैंक खातों में भुगतान कर डाला ,जो की वन कर्मियों के रिश्तेदार और परिचितों के मिलेंगे। ऐसे ही खाद मिट्टी के नाम पर भी लाखों के वारे न्यारे किए गए। फर्जी तरीके से ई टेंडर को को भुगतान कर डाले जबकि हकीकत में खाद मिट्टी आस पास या प्लांटेशनों में से ही मैनेज कर ली जाती है।
बंजला के प्लांटेशनों में करोड़ों स्वाह।
मादुसूदन गड़ के बंजला प्लांटेशन कक्ष क्रमांक पी 757 व पी 757 अ दो प्लांटेशन स्वीकृत थे। एक करीब 78 हेक्टयर और दूसरा 50 हेक्टयर उक्त दोनों प्लांटेशन धरातल पर भी या नही पता करना मुश्किल हे । ओर कही जैसे तैसे पता भी लग जाए तो प्लांटेशन में सीपीटी सीपीडब्लयू ढूढना मुश्किल होगा । ओर आगरा सीपीटी सीपीडब्ल्यू यहां तहां नाम मात्र के दिख भी जाए तो इसके बाद गड्डे ढूढना मुश्किल है । कही जैसे तैसे गड्डे भी मिल गए तो इसमें पौधा ढूढना तो ऊपर वाले के वश में भी नही है।दरअसल बंजला के प्लांटेशनों में अदृश्य पौधे लगाकर सरकारी पैसे का खूब गबन किया है ।
भोपाल से आए अधिकारी भी जेब गर्म करके वापस लौटे ।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2022 में वन विभाग के एक बड़े अफसर शिकवा शिकायतों के बाद गुना वन मण्डल के मधुसूदन गड़ वन परिक्षेत्र में जांच करने पहुंचे थे । पर साहब को जांच दस्तावेजों में करा दी गई । ओर पेशगी बतौर 6 लाख का ऑफर दे दिया गया । सूत्रों की माने तो डीएफओ के ओके कर देने पर ही जांच अधिकारी ने ऑफर को अमलीजामा पहनाया,ओर सबकुछ कागजों में ही ओके कर निकल गए। सूत्रों के अनुसार उक्त वन अधिकारी ने मौके पर जाकर जायजा नही लिया था और डील करके ही वापस लौट कर चले गए।
इन प्लांटेशनों में धांधली और भ्रष्टाचार ।
मधुसूदन गड़ के बंजला आ कक्ष क्रमांक पी 757 रकवा 78 हेक्टेयर । मुड़ियागढ़ कक्ष क्रमांक पी 745 रकवा 40 हेक्टयर । लड़ैया खेड़ा कक्ष क्रमांक पी 744 रकवा 25 हेक्टयर । झरपाई कक्ष क्रमांक पी 763 रकवा 50 हेक्टयर । बंजला कक्ष क्रमांक पी 757 रकवा 50 हेक्टयर । सालोठा कक्ष क्रमांक पी 750 रकवा 50 हेक्टयर । कैलाशपुर कक्ष क्रमांक पी 774 रकवा 50 हेक्टयर । दिरौली कक्ष क्रमांक पी 774 रकवा 50 हेक्टयर । पीपलखेड़ा कक्ष क्रमांक पी 786 रकवा 50 हेक्टयर । जलालपुरा कक्ष क्रमांक पी 761 रकवा 50 हेक्टयर । सुंदरपुरा कक्ष क्रमांक पी 776 रकवा 75 हेक्टयर । खेरखेड़ा कक्ष क्रमांक पी 782 रकवा 50 हेक्टेयर । इन प्लांटेशनों में जाकर देखा जाए तो भ्रस्ताचार की सारी परते खुदवा खुद निकलकर सामने आ जाएंगी । अब देखना होगा खबर प्रकाशन होने के बाद भी वन विभाग की कुंभकर्णी नींद खुलेगी या नही । साथ ही ब्लैक बग व नीला गाय के शिकार से जुड़े प्रकरण को भी खोलते हे या नही । वन मण्डल गुना के वित्तीय गबन और भ्रष्टाचार के मामले में जल्द ही हो सकती है लोकायुक्त में मय दस्तावेजों के शिकायत दर्ज ।
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