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पशु नस्लों के पंजीकरण के लिए हितधारकों को आईसीएआर ने किया सम्मानित

पशु नस्लों के पंजीकरण के लिए हितधारकों को आईसीएआर ने किया सम्मानित पशुओं की देशी नस्लें पहचानकर कृषि व पशुपालन क्षेत्र को समृद्ध बनाएं- तोमर...



पशु नस्लों के पंजीकरण के लिए हितधारकों को आईसीएआर ने किया सम्मानित

पशुओं की देशी नस्लें पहचानकर कृषि व पशुपालन क्षेत्र को समृद्ध बनाएं- तोमर 

श्योपुर /केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में बड़ी संख्या में पशुओं की देशी नस्लें हैं, जिन्हें सभी क्षेत्रों से पहचानने की आवश्यकता है। इनके माध्यम से कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र को और समृद्ध बनाया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात आज पशुधन नस्ल पंजीकरण प्रमाण-पत्र वितरण समारोह में कही। इसका आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र, नई दिल्ली में किया। श्री तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि देश का लगभग आधा पशुधन अभी भी अवर्णित है। हमें ऐसी अनूठी नस्लों की जल्द से जल्द पहचान करना होगी ताकि इन अवर्णीकृत नस्लों को बचाया जा सकें। उन्होंने खुशी जताई कि आईसीएआर इस दिशा में काम कर रहा है और देश में ऐसी नस्लों की पहचान के लिए एक विशेष मिशन शुरू किया गया है। इस तरह का कार्य आसान नहीं है और राज्य विश्वविद्यालयों, पशुपालन विभागों, गैर सरकारी संगठनों आदि के सहयोग के बिना इसे पूर्ण नहीं किया जा सकता है। आईसीएआर ने इन सभी एजेंसियों के सहयोग से मिशन मोड में देश के सभी पशु आनुवंशिक संसाधनों के प्रलेखन की शुरुआत की है। यह बड़ा समूह देश में देशी पशु आनुवंशिक संसाधनों के दस्तावेजीकरण के मिशन को पूरा करेगा।

श्री तोमर ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए, नई नस्लों के सभी आवेदकों को बधाई देते हुए कहा कि ये देशी नस्लें अद्वितीय हैं, जो विविधता की विशालता भी दर्शाती है, ये सभी क्षेत्रों में मौजूद है। इतिहास में मानव समाज के विकास के समय से ही पशुपालन कृषि का अभिन्न अंग रहा है। यह हमारे जैसे देश में और भी अधिक प्रासंगिक है, जहां समाज का एक बड़ा हिस्सा सक्रिय रूप से इससे जुड़ा हुआ है और पशुपालन में निर्भर है। हमारा देश पशु जैव विविधता से समृद्ध है और लोग सदियों से अलग-अलग प्रकार की प्रजातियों का पालन कर रहे हैं। इन प्रजातियों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों जैसे भोजन, फाइबर, परिवहन, खाद, कृषि उद्देश्यों आदि के लिए किया जाता रहा है। अतीत में हमारे किसानों ने इन प्रजातियों की कई विशिष्ट नस्लें विकसित की हैं, जो उस जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल हैं। सारी दुनिया इस समय भारत की पशुधन व कुक्कुट (पोल्ट्री) क्षेत्र में बड़ी विविधता की ओर देख रही है। देश में पशु आनुवंशिक संसाधनों के दस्तावेजीकरण व उनकी आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य व कृषि संगठन द्वारा भी सराहना की गई है। 

इस अवसर पर 28 नई पंजीकृत नस्‍लों के नस्‍ल पंजीकरण प्रमाण-पत्र वितरित किए गए, जिनमें मवेशियों की 10 नस्‍लें, शूकर की 5, भैंस की 4, श्वान व बकरी की 3-3, गधा, बत्तख व भेड़ के लिए 1-1 तथा पोल्‍ट्री वंशक्रम के लिए 1 शामिल हैं। इन देशी नस्‍लों पर संप्रभुता का दावा करने के लिए डेयर ने वर्ष 2019 में राजपत्र में सभी पंजीकृत नस्‍लों को अधिसूचित करना शुरू किया है। कार्यक्रम में आईसीएआर व इसके संस्थानों के अधिकारी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा डीएएचडी के अधिकारी उपस्थित थे।


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