प्राकृतिक खेती समय की जरूरत- डॉ.जैन शिवपुरी/ जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र पिपरसमा शिवपुरी में गतदिवस एक दिवसीय विभागीय एवं मैदानी कार्यकर्ता...
प्राकृतिक खेती समय की जरूरत- डॉ.जैन
शिवपुरी/ जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र पिपरसमा शिवपुरी में गतदिवस एक दिवसीय विभागीय एवं मैदानी कार्यकर्ताओं के लिए ओरिएंटेशन सह कार्यशाला ‘‘प्राकृतिक खेती एवं मिलेट्स‘‘ फसलों के प्रोत्साहन पर आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ माँ सरस्वती का पूजन और दीप प्रज्वलित कर पूर्व उपसंचालक पशुपालन डॉ.एम.पी.जैन द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में जिले के कृषि, कृषि तकनीकी प्रबंधन समिति (आत्मा), उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य, आजीविका मिशन एवं शक्तिशाली महिला संगठन समिति के मैदानी कार्यकर्ताओं सहित 50 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहें। विशेषकर शिवपुरी जिले में नये ज्वाइन हुए समस्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भी उपस्थित रहें।
कार्यशाला के स्वागत और उद्घाटन सत्र में डॉ.एम.पी.जैन ने अनुभव साझा करते हुए नवनियुक्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को क्षेत्र में परिश्रम, निष्ठा भाव और कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण के बारे में बतलाते हुए खेती और पशुधन का पूर्ण संयोजन को आज भी जरूरी है। उन्होंने इसके बारे में समझाते हुए कृषि कि समय-समय पर उन्नत और नवीन तकनीकियों को क्षेत्र में विस्तार के माध्यम से उपयोगकर्ता, किसानों/किसान महिलाओं तक पहुंचाने के लिये विशेष जोर दिया। जिससे कृषि का संतुलन और संर्वागीण विकास से रोजगार परख उद्यम भी बड़े सके।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ पुनीत कुमार के द्वारा कार्यशाला का महत्व एवं क्षेत्र में उपयोगिता की जानकारी देते हुये कृषि तकनीकियों के अधिक से अधिक क्षेत्र में फैलाव करने के लिये आवाह्न किया। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी प्राकृतिक कृषि डॉ.एम.के.भार्गव ने जिले मे प्राकृतिक खेती परीक्षण/प्रदर्शन के बारे में बतलाते हुऐ प्राकृतिक खेती की अवधारणा एवं परिचय और मैथड़ ड्रेमोशड्रेशन के माध्यम से चर्चा करते हुए विभागीय अधिकारियों से कृषकों के यहां कुछ क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के बारे मे खेत चिन्हित कराते हुए कार्य शुरू कराने के लिए कहा गया। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.पुष्पेन्द्र सिंह के द्वारा वर्तमान वर्ष 2023 जो अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में मनाई जा रही है इस परिपेक्ष्य में मिलेट्स फसलों के परिचय, महत्व, पोषण गुणवत्ता तथा उत्पादन के बारे में जानकारी दी गई। कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक डॉ.ए.एल.बसेड़िया ने कृषि में श्रमह्यस कम करने की तथा संसाधन, संरक्षण तकनीकियों के बारे में बतलाते हुये क्षेत्र में प्रसार कराये जाने के लिए भी कहा गया। विशेषज्ञ मत्स्यपालन योगेश चन्द्र रिखाड़ी ने खेती के समन्वय मॉडल में मत्स्य संपदा को भी क्षेत्र की उपयोगिता अनुसार जोड़ने और लाभ लिए जाने के लिए तकनीकियों पर प्रकाश डाला। डॉ.नीरज कुमार कुशवाहा विशेषज्ञ ने कृषिवानिकी द्वारा बदलते परिवेश में भूमि, वन, कृषि और प्राकृतिक संसाधनों के कुशल समन्वय एवं क्षमतापूर्ण दोहन किये जाने पर जानकारी दी गई।
जिले के उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री यू.एस.तोमर ने नवागत विभागीय अधिकारियों एवं अन्य सभी को जिले के प्रसार कार्यकर्ताओं से नवीन तकनीकियों के प्रसार और प्राकृतिक खेती के बारे में बतलाये जाने के बारे में समझाया गया। कार्यक्रम सहायक संचालक उद्यान सुरेश सिंह कुशवाह भी उपस्थित रहें। शक्तिशाली महिला संगठन समिति के निदेशक रवि गोयल ने सम्बोधित करते हुए पोषण और कृषि अनाजों/पोषण वाटिका की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यशाला सह ओरिएंटेशन कार्यक्रम के अंतिम सत्र में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा तकनीकी साहित्य एवं बीज किट प्रदाय करते हुये केन्द्र पर बनाई गई। नवीन प्राकृतिक खेती इकाई एंव डाले गये प्रदर्शनों के साथ अन्य तकनीकी प्रदर्शनों/इकाइयों का भ्रमण कराया गया तथा जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र की टीम ने विषयानुसार समय-समय पर तकनीकी सुझाव एवं फीडबैक दिये जाने के साथ प्राकृतिक खेती एवं मिलेट्स कार्यशाला कार्यक्रम सम्पन्न हुई।
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