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बंजर जमीन पर जैविक खाद का उपयोग कर बनाया सिटी फारेस्ट

  सफलता की कहानी  बंजर जमीन पर जैविक खाद का उपयोग कर बनाया सिटी फारेस्ट ग्वालियर / खराब पड़ी बंजर भूमि को भी जैविक खाद के उपयोग से हरा-भरा कर...

 



सफलता की कहानी 

बंजर जमीन पर जैविक खाद का उपयोग कर बनाया सिटी फारेस्ट

ग्वालियर / खराब पड़ी बंजर भूमि को भी जैविक खाद के उपयोग से हरा-भरा करने का कार्य ग्वालियर की गौशाला की भूमि पर हुआ है। लैदर फैक्ट्री की जमीन जिस पर कैमिकल के उपयोग से जमीन की उपजाऊ क्षमता खत्म हो गई थी, उसी भूमि को मेहनत और जैविक खेती से हरा-भरा कर पूरा जंगल ही खड़ा कर दिया है। 

नगर निगम की लालटिपारा स्थित आदर्श गौशाला बनने से पहले जहां दो दशक तक लेदर फैक्ट्री संचालित होती थी। इस फैक्ट्री में उपयोग किए गए कैमिकलों के कारण यहां की जमीन बंजर हो चुकी थी। इसके बाद यहां पर लालटिपारा आदर्श गौशाला को बनाया गया । लेकिन यहां पर अनेकों बार पौधरोपण का प्रयास किया गया, लेकिन कैमिकलों के उपयोग के कारण बंजर जमीन पर पौधे नहीं पनप सके। इसके बाद संतो के मार्गदर्शन में इस जमीन पर गायों के गोबर से बनी खाद डालकर इसे उपजाउ बनाया गया। इसके बाद अब यहां रोपे गए  5000 से अधिक पौधे पेडों का रूप ले चुके हैं।

नगर निगम द्वारा संचालित की जाने वाले लालटिपारा स्थित आदर्श गौशाला में 7000 से अधिक निराश्रित गौवंश रहता है। पहले यहां पर कैमिकलों के उपयोग के कारण जमीन पूर्णरूप से बंजर हो चुकी थी। इसके कारण अनेकों बार पौधरोपण का प्रयास किया गया लेकिन हर बार पौधे मर जाते थे। इसके बाद कोरोनकाल में संत श्रृषभानंद महाराज के मार्गदर्शन में यहां पर गोबर गैस प्लांट से निकलने वाली जैविक खाद का उपयोग किया गया। इस खाद को मिट्टी में कई बार मिलाकर उपजाउ बनाया गया। इसके बाद यहां पर मियावाकी पद्वति से पौधरोपण किया गया। पौधरोपण के लिए स्थानीय एवं आयुर्वेदिक पौधों का चयन किया गया। अब यह पौधे पेड बन चुके हैं और यहां पर स्थानीय एवं गौशाला में आने वाले भक्तगण सैर करते हैं। 


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