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वन विभाग के अधिकारियों पर भारी बाबू...?

  एक बाबू सब पर भारी वाली कहावत चरितार्थ हो रही वन मण्डल गुना में  मामला रिटायर्ड डिप्टी के यात्रा देयक टी ए का  शिवपुरी / गुना /गुना वन मण्...

 एक बाबू सब पर भारी वाली कहावत चरितार्थ हो रही वन मण्डल गुना में 



मामला रिटायर्ड डिप्टी के यात्रा देयक टी ए का 

शिवपुरी / गुना /गुना वन मण्डल में वैसे वित्तीय अनियमिताय तमाम हे। नीचे से ऊपर तक कमीशन का खेल बदस्तूर जारी है। नियम कायदे भी महज वन मण्डल गुना में हवा हवाई हे। नियम विरुद्ध कार्य वन मण्डल की शान बन चुके हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त वन मण्डल आम लोगो को तो नियम कायदे जरूर बताते हे, पर बात जब अपने पर आ जाए तो नियमो को दरकिनार कर भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाने से कोई पीछे नहीं छूटता । वर्ष 2020 =21 से तत्कालीन गुना डीएफओ डीके पालीवाल के समय से गुना वनमण्डल सुर्खिया बटोर रहा है। वही डीके पालीवाल का सीसीएफ बनने और उसके बाद प्लांटेशनो  सहित अन्य वित्तीय गबन में गुना डीएफओ हेमंत रायकवार की भूमिका संदिग्ध रही । प्लांटेशनो के नाम पर दोनो अधिकारियों ने जमकर कमीशन का खेल फर्जी मजदूरों के व्हाउचर फर्मों को खाद मिट्टी का फर्जी भुगतान फर्जी गाड़ियों के नंबर में जमकर सुर्किया बटोरी । नतीजन सीसीएफ डीके पालीवाल के रिटायर्ड होते ही डीएफओ हेमंत रायकवार गुना से भाग खड़े हुए , आनन फानन में गुना का चार्ज तक तत्कालीन प्रशिक्षु गुना एसडीओ सर्वेश सोनवानी को सौंपा गया । जबकि गुना वन मण्डल में डीएफओ का पद दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर वन संरक्षक (सीएफ) का पद लंबे समय से खाली हे।

वन मण्डल में बाबू की चाल बाजी ।

मामला रिटायर्ड डिप्टी महाराज सिंह रघुवंशी के यात्रा देयक टी ए का हे । जिसमे महाराज सिंह रघुवंशी ने व्यय शाखा के बाबू श्यामबाबू मीना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं दस्तावेजों में भी हेर फेर कर कूट रचना की बात भी कही गई है।रिटायर्ड डिप्टी ने व्यय शाखा के बाबू पर 30 प्रतिशत कमीशन आरोप लगाया है। नही देने पर टी ए अटकने की बात कही ,जो वर्तमान में प्रतीत भी हो रहा । वही एक बाबू सब पर भारी वाली बात महाराज सिंह द्वारा वन बल प्रमुख को लिखित में दी गई थी , जो अब चरितार्थ हो रही। जब तक बाबू को 30% की रिश्वत कुल भुगतान से नहीं दी गई तो भुगतान भी नही किया जा रहा । साथ ही बाबू के आगे वन मण्डल के नवागत प्रभारी डीएफओ भी नतमस्तक दिखाई देते है। जबकि नियम अनुसार बाबू पर प्रभारी डीएफओ सर्वेश सोनवानी को अब तक एक्सन लेना चाहिए था। टी ए भुगतान में कमीशन खोरी दस्तावेजों में उलझाकर कूट रचना जैसे गंभीर मामले बाबू पर होने के बाद साथ ही महिला वन रक्षक को भी अपने कार्यालय में नियम विरुद्ध लगाया हुआ है, इन सब मामलो के बाद भी बाबू पर कार्यवाही न होना वन मण्डल में नीचे से ऊपर तक भ्रष्ट तंत्र का परिचय स्वतः सिद्ध करते हैं।

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