देश के संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर का अभूतपूर्व योगदान - कवि श्री रत्नेश पाराशर जन अभियान परिषद जौरा ने समानता पर्व का किया आ...
देश के संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर का अभूतपूर्व योगदान - कवि श्री रत्नेश पाराशर
जन अभियान परिषद जौरा ने समानता पर्व का किया आयोजन
मुरैना /डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। हर साल इस दिन अम्बेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। हम सभी उन्हें भारतीय संविधान के जनक के रूप में जानते हैं। लेकिन उनका योगदान यहीं तक सीमित नहीं है। वह बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। वह एक राजनेता, समाज सुधारक, विधिवेत्ता और अर्थशास्त्री थे। उन्होंने हमेशा भारतीय समाज में व्याप्त अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वे दलितों के नेता थे।
जन अभियान परिषद् जौरा द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती समानता पर्व कार्यक्रम का आयोजन शासकीय महाविद्यालय जौरा में किया गया। कवि श्री रत्नेश पाराशर, जन अभियान परिषद् जौरा के ब्लॉक समन्वयक श्री बी.डी. शर्मा, नवांकुर संस्था से सुभाष शर्मा, परीक्षत शर्मा, अल्केश राठौर, विष्णु सिंह तोमर, कैलाश शर्मा, परामर्शदाता श्रीकुमार शर्मा, श्री प्रशांत शर्मा, संत कुमार पाराशर सहित समस्त प्रस्फुटन समितियां, सीएमसीएलडीपी छात्र-छात्रायें उपस्थित थीं।
कार्यक्रम में डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में कवि श्री रत्नेश पाराशर द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के बारे में बताया कि शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना और हमारे देश के निम्न वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति को बढ़ाना था। उन्होंने “शिक्षित-आंदोलित-संगठित” के नारे के तहत भारत से जाति व्यवस्था को मिटाने के लिए एक सामाजिक आंदोलन भी चलाया। वह सभी मनुष्यों की समानता के नियम का पालन करते हुए भारतीय समाज का पुनर्निर्माण करना चाहते थे। उन्होंने 1927 में अछूतों के लिए समान अधिकार स्थापित करने के लिए महाड, महाराष्ट्र में एक मार्च का नेतृत्व किया।
श्री बी.डी. शर्मा ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने कमजोर और पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों के लिए पूरा जीवन संघर्ष किया। हम कह सकते हैं कि डॉ. अंबेडकर सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत और समतामूलक समाज के निर्माणकर्ता थे। वे हमेशा से समाज के कमजोर, मजदूर, महिलाओं और पिछड़े वर्ग को शिक्षित करके सशक्त बनाना चाहते थे। यही कारण है की डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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