दो का हत्यारा 12 घंटे में थाने से छूटा यह है इस देश का न्याय और कानून व्यवस्था कार का बीमा तक नहीं….थाने में भी तिमारदारी करता रहा परिवार ...
दो का हत्यारा 12 घंटे में थाने से छूटा
यह है इस देश का न्याय और कानून व्यवस्था
कार का बीमा तक नहीं….थाने में भी तिमारदारी करता रहा परिवार
इंदौर। दो निर्दोषों की जान लेने वाला नशेड़ी कार चालक महज 12 घंटे में ही थाने से छूट गया। इन 12 घंटों में उसकी शराब की मदहोशी भी नहीं उतरी थी और परिजन उसे थाने से घर ले गए। यह है इस देश का न्याय और कानून व्यवस्था…जो दो लोग हादसे में मौत के आगोश में समाए, उनकी चिता को आग भी नसीब नहीं हुई और हत्यारा घर जाकर चेन की नींद सो गया। कार चालक इतना नशे में था कि एमवाय में मेडिकल के दौरान सीधे चल नहीं पा रहा था और ना ही खड़ा रह पा रहा था। यह बात भी सामने आई है कि उसकी कार का बीमा खत्म हो चुका था।
वायएन रोड पर एक्टिवा से जा रहे संदीप गुप्ता निवासी रोशनसिंह भंडारी मार्ग उनकी बेटी मिस्का, भतीजा अद्विक और आर्यन हिट एंड रन का शिकार हुए थे, जिसमें संदीप और भतीजे अद्विक की मौत हो गई। टक्कर मारने वाला कार चालक अजीत पिता झूमकलाल ललवानी, निवासी न्यू पलासिया को तुकोगंज पुलिस ने मौके से गिरफ्तार कर लिया। जब मेडिकल के लिए उसे एमवाय लाया गया तो वह नशे में इतना धुत था कि लडख़ड़ाता हुआ चल रहा था। गुप्ता परिवार के पलाश गुप्ता का आरोप है कि उन्हें ललवानी के बेटे एमवाय अस्पताल में धमकाने लगे, वे पूरे प्रयास में थे कि जैसे-तैसे ललवानी को यहां से ले जाया जाए और किसी दूसरे कार चालक को पुलिस के सामने खड़ा कर पूरा अपराध उसके सर मढ़ा जा सके, लेकिन ऐसा हो नहीं सका और पुलिस ललवानी को थाने ले गई। यहां भी उसके परिवार वाले उसको बीमार बताने की नौटंकी करते हुए दवाई-गोली लेकर पहुंच गए, जिसके चलते पुलिस भी पीछे हट गई और उससे ज्यादा पूछताछ नहीं की, जबकि पलाश का आरोप है कि ललवान लेकिन ऐसा हो नहीं सका और पुलिस ललवानी को थाने ले गई। यहां भी उसके परिवार वाले उसको बीमार बताने की नौटंकी करते हुए दवाई-गोली लेकर पहुंच गए, जिसके चलते पुलिस भी पीछे हट गई और उससे ज्यादा पूछताछ नहीं की, जबकि पलाश का आरोप है कि ललवानी रोजाना ऐसे ही शराब में धुत रहकर गाड़ी चलाता है। सवाल उठता है कि प्रदेश के गृहमंत्री हो या डीजीपी, वे जब अपराधों की समीक्षा करने इंदौर आते हैं तो सबसे पहले यही बात कहते हैं कि सडक़ हादसे रोकें…क्योंकि सबसे ज्यादा सडक़ हादसों में मौतें होती है, लेकिन कानून इतना लचर है कि ऐसे अपराधी 12 घंटे में थाने से बाहर आ जाते हैं और हादसे के शिकार लोगों को न्याय नहीं मिलता।
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