हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का खास महत्व दो शताब्दी पूरे करने की ओर हिंदी पत्रकारिता खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक...
हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का खास महत्व
दो शताब्दी पूरे करने की ओर हिंदी पत्रकारिता
खींचो न कमानों को न तलवार निकालो
जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो’’ ।।
अकबर इलाहाबादी का यह शेर पत्रकारिता की ताकत बताने के लिए काफी है।
राजेश शर्मा ग्वालियर/हिंदी पत्रकारिता के इतिहास में 30 मई का खास महत्व है। यही कारण है कि 30 मई को हर साल हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन वर्ष 1826 को पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने पहले हिंदी अखबार ‘उदन्त मार्तण्ड’ का प्रकाशन किया था। आज 30 मई 2023 को भारतीय हिन्दी पत्रकारिता 197 वर्षों की हो जाएगी। आने वाले वर्ष 2026 में हिन्दी पत्रकारिता 200 वर्षो की हो जाएगी। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अपना अलग महत्व रखने वाला समाचार पत्र ‘‘उदन्त मार्तण्ड’’ हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र, 30 मई 1826 को कलकत्ता से साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ...तब से लेकर आजतक हिंदी पत्रकारिता देश में कई दौर देख चुकी हैं। आज़ादी के आंदोलन में हिंदी पत्रकारिता का बड़ा योगदान रहा है। अब दौर बदल गया है। पत्रकारिता का स्वरुप व्यवसायिक हो चुका है। ईश्वर देश को ऐसी पत्रकारिता से बचाएं। मीडिया हाउसेज के एजेंडे को जनता भी समझें। ऐसी थोपी हुई पत्रकारिता का विरोध करें। अधिकांश पत्रकार तो ईमानदारी से अपना धर्म निभाते हैं या निभाना चाहते हैं, लेकिन मीडिया संस्थान धंधेबाज होते जा रहे हैं। अब दुर्भाग्य से सम्पादक की योग्यता का पैमाना बदल चुका है। आजकल अखबार मालिक नेताओं के अनुरूप सम्पादक बैठाने लगे है। पत्रकारिता मेरी नज़र में आज भी पवित्र और ईश्वरीय कार्य है। जो सत्य की खोज और अन्वेषण कर संसार को वास्तविकता से अवगत कराने का महान दायित्व निभाने का है। सकारात्मक पक्ष ये है कि हिंदी पत्रकारिता में आज भी ऐसे अच्छे और सच्चे लोगों की कमी नहीं है। उन सभी साधू स्वभाव के पत्रकारों से मेरा अनुरोध है की वो सच्चाई लिखते रहे। अखबार में जगह नहीं मिले तो सोशल मीडिया पर ही लिखे। शब्द ब्रह्म होता है। लिखा हुआ कभी व्यर्थं नहीं जाता। आप देश हित में किसी भी प्लेटफॉर्म पर अपनी पत्रकारिता जारी रखे।
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