राष्ट्र राज्य और समाज चिंतन आदमी कितना ही बड़ा क्यों ना हो उसमें एक आम इंसान भी होता है अपने प्रथम आलेख का आ...
राष्ट्र राज्य और समाज चिंतन
आदमी कितना ही बड़ा क्यों ना हो
उसमें एक आम इंसान भी होता है
अपने प्रथम आलेख का आरंभ किसी अन्य महत्वपूर्ण विषय या प्रसंग से करना चाहता था किंतु उन प्रसंगों की सहज स्वीकारता के लिए इस तथ्य को बिचार पटल पर रखना आवश्यक लगा कि -'कोई भी व्यक्ति पद, प्रतिष्ठा, संपन्नता या किसी भी अन्य दृष्टि से कितना भी बड़ा क्यों ना हो उसके अंदर एक आम इंसान भी होता है,'' बस आवश्यकता उस आम इंसान को जगाने की है।
मेरा अनुभव है की यदि गंभीरता और निश्चल भाव से किसी भी बड़े से बड़े व्यक्ति से संवाद किया जाए तो उसके अंदर का आम आदमी ज्यादा देर तक छुपा नहीं रह सकेगा और फिर जब वह ( वीआईपी या वीवीआईपी के अंदर का) आम इंसान अपने ह्रदय मैं दवाए अथवा छुपाए भावनाओं के ज्वार का वेग खोलेगा तो उसमें से आपको अनुभवों के अनेक नायाव हीरे मिलेंगे जिन्हें अपने व्यवहारिक जीवन में अपनाकर हम व्यक्ति ,समाज या राष्ट्र के सुंदर भविष्य की आधारशिला रख सकते हैं ।
ऐसे ही दर्जनों महानुभावों के प्रसंग {उनके नामों का उल्लेख किए बिना} यहां प्रस्तुत करूंगा । व्यवहारिक जीवन की इन सच्चाइयों को हम स्वीकार कर सकें इसलिए अपने इस प्रथम आलेख में इस सामान्य किन्तु अति महत्वपूर्ण तथ्य का उल्लेख कर रहा हूं कि" हर विशिष्ट व्यक्ति में एक आम इंसान भी होता है ।
राघवेंद्र श्रीवास्तव शिवपुरी
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