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शिवपुरी नगर पालिका कर्मचारियों के रवैए का आंखो देखा हाल

  शिवपुरी नगर पालिका कर्मचारियों के रवैए का आंखो देखा हाल  दिवाकर शर्मा शिवपुरी/दिनांक 29 मई को जब दोपहर लगभग 1 बजे पुराने बस स्टैंड स्थित ए...

 शिवपुरी नगर पालिका कर्मचारियों के रवैए का आंखो देखा हाल


 दिवाकर शर्मा शिवपुरी/दिनांक 29 मई को जब दोपहर लगभग 1 बजे पुराने बस स्टैंड स्थित एक होटल पर पंहुचा तो देखा कि 2 नवयुवक नशे में धुत्त होकर होटल संचालक से बदतमीजी कर रहे है। मामले की जानकारी ली तो पता चला कि उक्त दोनों युवकों ने उस होटल पर खाना खाया और खाना खाने के पश्चात होटल मालिक को पैसे बाद में आकर देने की बात कही। चूंकि होटल मालिक उन्हे नहीं जानता था और दोनों मदिरा के नशे में चूर थे तो होटल मालिक ने सप्रेम उन्हें खाने के बिल का भुगतान करने को कहा। 

फिर क्या था उनमें से एक युवक अभद्रता पर उतर आया। स्वयं को परशुराम का वंशज बताने लगा। न जानें कितने बड़े बड़े नामों को लेकर वहां उपद्रव करने लगा तब अपने से नहीं रहा गया। मैंने उसे टोकते हुए कहा कि भाई आपने खाना खाया है तो उसका भुगतान कर दो क्यों तमाशा कर रहे हो? तब उसने मुझे जवाब दिया कि तुम जानते नहीं हम नगर पालिका के कर्मचारी हैं और पास ही चल रहे नाले की सफाई के इंचार्ज हैं। 

तब मैने उन्हें कहा कि मर्यादित रहें नही तो यदि मैंने आपके इस कृत्य की शिकायत आपके आला अधिकारियों से कर दी और उसके पश्चात यदि कहीं आपका मेडिकल हो गया तो निश्चित रूप से आपकी नौकरी चली जाएगी। 

मामा शिवराज की टी शर्ट पहना और गले में भगवा साफी डाला उक्त युवक मुझे धमकाते हुए बोला "तू मेरी शिकायत करेगा, कर जिससे करना है। तू क्या शहर में कोई भी मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकता।" 

तब मैने उसे समझाया कि भाई में एक पत्रकार हूं और कम से कम एक पत्रकार की इज्जत तो रखो। तब उस शराबी नगर पालिका कर्मचारी ने शहर के समस्त पत्रकारों के लिए अभद्र टिप्पणी करते हुए एक पत्रकार (जो अब पार्षद भी हैं) के नाम से मुझे धमकी दी। वह पार्षद पत्रकार संयोग से मेरा अभिन्न मित्र भी है तो मैने सीधे उसे फोन लगा डाला और स्पीकर चालू कर दिया। उसने पूरा प्रकरण सुनकर मुझसे कहा कि इसकी उल्टी करके चार लात मेरी तरफ़ से मारो। मन तो बहुत किया कि उस मित्र की बात मान कर इस शराबी का चबूतरा सूजा दूं परंतु अपने आप पर नियंत्रण रखा। 

इसके बाद भी उस शराबी ने ऊधम मचाना चालू रखा तो फिर उसे समझाया तब उसने स्वयं को मेरे एक अनुज का साला होना बताया। मैंने उस अनुज को फोन लगाया, स्पीकर चालू रखा, अनुज को मामले की जानकारी दी, उस अनुज ने भी उसी भाषा में अपने उक्त साले को समझाया, साला थोडा समझा, थोड़ी देर बाद मुझसे माफ़ी मांगी, मेरे पैर छूकर वो और उसका साथी रफूचक्कर हो गए। पैसे होटल वाले के फिर भी नहीं दिए।

कुछ देर बाद पता चला कि एक जागरूक पत्रकार ने इस पूरे मामले की जानकारी नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती गायत्री शर्मा जी को दी, जिसे जानकर गायत्री शर्मा जी अपने साथ उस पत्रकार को लेकर सीधे राज पैलेस के पीछे उस स्थान पर पहुंची जहां दोनों तथाकथित नगर पालिका कर्मचारी दारु पी कर सो रहे थे। उनमें से एक तो मौका पाकर भाग गया परंतु एक पकड़ा गया। नगर पालिका अध्यक्ष ने भी इस दौरान पाया कि उक्त तथाकथित नगर पालिका कर्मचारी नशे में है। इस दौरान नगर पालिका अध्यक्ष के साथ एक पार्षद भी उपस्थित थे जिन्होंने भी इस तथाकथित नगर पालिका कर्मचारी से प्रश्न किया कि तू मुझे रात में क्यों फोन लगा कर मेले में झूले वालों से निशुल्क झूला झुलाने का दवाब बनाता है।

इसके बाद उपस्थित जनों के सामने नगर पालिका की भद् पिटते हुए देख कर श्रीमती गायत्री शर्मा जी ने मौखिक रूप दोनों तथाकथित नगर पालिका कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने को कहा। 

अब देखना यह है कि क्या ऐसे तथाकथित शराबी कर्मचारियों के भरोसे शिवपुरी नगर पालिका जनहितैसी कार्यों को अंजाम दे पाएगी? 


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