इस साल पूरी दुनिया में पड़ेगी भीषण गर्मी; क्यों हो रहा है अल-नीनो का असर, NASA ने तस्वीरें जारी कर बताया कैसे पड़ेगा प्रभाव भोपाल/ इस साल ...
इस साल पूरी दुनिया में पड़ेगी भीषण गर्मी; क्यों हो रहा है अल-नीनो का असर, NASA ने तस्वीरें जारी कर बताया कैसे पड़ेगा प्रभाव
भोपाल/ इस साल मौसम वैज्ञानिक भारत में अल नीनो के प्रभाव की चेतावनी दे रहे हैं। ये भारत के लिए बिल्कुल भी अच्छी खबर नहीं है क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है। अगर देश में अल नीनो का प्रभाव पड़ेगा तो इस साल भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ सकती है। गर्मी की वजह से फसलों पर भी बुरा असर पड़ेगा। कई राज्यों को सूखे की समस्या और जल संकट का सामना करना पड़ेगा। अल नीनो की वजह से मानसून पर भी बुरा असर पड़ता है। बारिश ठीक-ठाक नहीं होती है।
अल नीनो के बारे में जानिए
अल नीनो प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से जुड़े हुए हैं। इन बदलावों का दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल नीनो की वजह से तापमान बढ़ता है अल नीनो मतलब गर्म। आमतौर पर दोनों 9 से 12 महीनों तक रहते हैं, लेकिन कई असाधारण मामलों में ये सालों तक रह सकते हैं।समुद्र का तापमान बढ़ने की स्थिति को अल नीनो कहते हैं इसकी वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा हो जाता है। समुद्र का तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा बढ़ सकता है।
अल नीनो का मौसम पर असर
अल नीनो जलवायु प्रणाली का हिस्सा है और इसका मौसम पर गहरा असर होता है। अल नीनो से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव पड़ता है। गर्मी, ठंड और बारिश सभी में अंतर दिखाई देता है। ये हर साल नहीं 3 से 7 साल में दिखाई पड़ते हैं। समुद्र का तापमान बढ़ने से समुद्री जीव-जंतुओं पर बुरा असर होता है। कई जीव औसत आयु पूरी करने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। अल नीनो की वजह से बारिश भी प्रभावित होती है। कम बारिश वाली जगहों पर ज्यादा बारिश हो सकती है। अगर अल नीनो दक्षिण अमेरिका की ओर एक्टिव होता है तो भारत में उस साल कम बारिश देखने को मिलती है।
अल नीनो का पता कैसे लगाते हैं?
दुनियाभर के साइंटिस्ट, सरकार और गैर-सरकारी संगठन अल नीनो का पता चलाने के लिए अलग-अलग टेक्निक या प्लव का इस्तेमाल करते हैं। इनसे अल नीनो के बारे में जानकारी इकट्ठी की जाती है। प्लव एक तरह के उपकरण को कहते हैं जो पानी के अंदर तैरता है। ये आमतौर पर चमकीले रंग का होता है। इसका उपयोग समुद्र में लोकेटर के जैसे किया जाता है। प्लव से ही समुद्र और हवा का तापमान, धारा, हवा और ह्यूमिडिटी को मापा जाता है। प्लव की मदद से ही हर दिन के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है।
नासा के जारी नक्शों से जानिए अल नीनो का असर
1. इस साल भयानक गर्मी पड़ने वाली है। साथ ही देश में बारिश भी कमजोर हो सकती है। वजह है अल-नीनो (El-Nino)। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट जरिए धरती पर गर्म लहरों को बहते देखता है। ये लहरें ही आगे चलकर अल-नीनो बन जाती हैं। इन लहरों को केल्विन वेव्स कहते हैं।
2. नासा ने अल-नीनो की गर्म लहर को अंतरिक्ष से ही कैप्चर कर लिया। प्रशांत महासागर में गर्म पानी की एक लहर दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट से पूर्व की ओर निकली थी। यह मार्च-अप्रैल की बात है। सैटेलाइट ने यह तस्वीर 24 अप्रैल 2023 को ली थी। यानी इसी वजह से पहले मई का महीना ठंडा हुआ, फिर अचानक गर्मी बढ़ गई।
3. सैटेलाइट से मिली तस्वीरों के मुताबिक ये केल्विन लहरें प्रशांत महासागर में भारत की तरफ बढ़ रही हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि, पूरे एशिया की तरफ। ये लहरें ऊंचाई में मात्र 2 से 4 इंच ऊंची होती हैं, लेकिन इनकी चौड़ाई हजारों किलोमीटर तक होती है। इन्हें अल-नीनो से पहले आने वाली लहरों के तौर पर भी पहचाना जाता है।
4. जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में सेंटीनल-6 माइकल फ्रीलिश सैटेलाइट पर काम करने वाले साइंटिस्ट जोश विलिस कहते हैं कि हम इस अल-नीनो पर बाज की तरह नजर बचाकर रख रहे हैं। अगर यह बड़ी लहर बनती है तो पूरी दुनिया को भयानक गर्मी का सामना करना पड़ेगा।
5. अल-नीनो असल में ENSO क्लाइमेट साइकिल का हिस्सा है। यह भूमध्य रेखा (Equator Line) पर पूर्व की दिशा में चलने वाली गर्म हवाएं होती हैं। जो प्रशांत महासागर की सतह को गर्म करती हैं। यह गर्म पानी फिर अमेरिका से एशिया की तरफ बढ़ता है। जैसे-जैसे गर्म पानी तेजी से आगे बढ़ता है, गर्मी बढ़ती जाती है। उसकी जगह नीचे से ठंडा पानी आ जाता है। फिर वो गर्म होकर आगे बढ़ता है।
6. 11 मई 2023 को NOAA ने कहा था कि इस साल अल-नीनो के आने का 90 फीसदी चांस है। जो उत्तरी गोलार्द्ध की सर्दी के मौसम पर भी असर डालेगा। इसकी वजह से समुद्री तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। 55 फीसदी चांस है अत्यधिक तीव्र अल-नीनो आएगा। इससे तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस का इजाफा होगा।
7. नासा द्वारा जारी किए गए नक्शे में जो समुद्र में जो लाल और सफेद रंग का इलाका दिख रहा है, वहां पर गर्म पानी बह रहा है। ये गर्म पानी हवाओं की गर्मी से तटीय इलाकों को गर्म कर देंगे। जिसकी वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में भयानक गर्मी और बारिश का मौसम देखने को मिलेगा।
8. अप्रैल में वैज्ञानिकों ने सबसे ज्यादा समुद्री तापमान का रिकॉर्ड दर्ज किया था। वैश्विक औसत तापमान 21.1 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। यह असर जलवायु परिवर्तन की वजह से हैं। उष्णकटिबंधीय इलाकों से ला-नीना का असर खत्म हो चुका है। अब यह गर्म हो रहा है। अल-नीनो का असर दिखने लगा है। जो कि गर्मी की बड़ी वजह बनेगा।
9. जोश विलिस ने कहा कि इस बार अल-नीनो और सुपरचार्ज समुद्री तापमान का मिलन हो रहा है। इसकी वजह से अगले 12 महीनों तक कई तरह के रिकॉर्ड टूटेंगे। ज्यादातर अधिकतम तापमान को लेकर होंगे। तब पता चलेगा कि हम अल-नीनो की वजह से क्या-क्या खो रहे हैं।
10. ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आए बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं। इस बदलाव से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है।
11. अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है। इसके आने से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव दिखता है। बारिश, ठंड, गर्मी सबमें अंतर दिखाई देता है। राहत की बात ये है कि अल-नीनो और ला-नीना दोनों ही हर साल नहीं, बल्कि 3 से 7 साल में दिखते हैं।
12. अल नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है। पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं। पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाली गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है।
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