GOLD के पलंग पर सोने वाले चपरासी ने बैंक को कर दिया कंगाल: बैंक ने 1 लाख खाता धारकों का भुगतान रोका शिवपुरी। नाम राकेश पाराशर... उम्र 52 स...
GOLD के पलंग पर सोने वाले चपरासी ने बैंक को कर दिया कंगाल: बैंक ने 1 लाख खाता धारकों का भुगतान रोका
शिवपुरी। नाम राकेश पाराशर... उम्र 52 साल! काम शिवपुरी के केंद्रीय सहकारी बैंक की कोलारस शाखा में चपरासी... इस अदने से मुलाजिम का काम बैंक में फाइलें इधर से उधर पहुंचाना और अफसर लोगों को चाय-पानी पिलाना था, लेकिन इसी मामूली चपरासी ने अपने ही बैंक में 80 करोड़ से ज्यादा का गबन कर डाला। अब बैंक कंगाल हो चुका है। अपने ही खाताधारकों को उनका पैसा नहीं लौटा पा रहा है। यहां तक कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भी बंद हो चुके हैं, क्योंकि बैंक के सेंट्रल सर्वर में पैसा ही नहीं है। आप भी सोच रहे होंगे, ऐसा कैसे हो सकता है।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा
रिश्तेदारों, दोस्तों के फर्जी खाते खोले, उनमें फर्जी एंंट्री दिखाकर गबन करता गया। राकेश था तो चपरासी, लेकिन अधिकारी उससे कैशियर का काम भी लेते थे। सौ-दो सौ रुपयों को तरसने वाले राकेश की आंखों के सामने से अब रोज लाखों रुपए गुजरते। यहीं उसका ईमान डोलने लगा। 2013 में राकेश ने अपना दिमाग चलाया। अपने भाई, दोस्तों और भरोसेमंद लोगों के नाम पर अपने ही बैंक में खाते खोले।
इन खातों में पैसे जमा करने के नाम पर फर्जी वाउचर बनाए। इनकी एंट्री उन खातों में कर देता, जिनमें वह पैसा जमा दिखाना चाहता था, जबकि हकीकत में कैश होता ही नहीं था। वाउचर की एंट्री से खाते में पैसा जमा होना और बैंक के कैश बैलेंस में पैसा कागजों पर ही दिखता।
वह बड़े-बड़े अमाउंट की रोज 4 से 5 फर्जी एंट्री डालता था। फर्जी रकम को एसबीआई में सहकारी बैंक के खाते में जमा दिखा देता। फिर बैंक के जनरल लेजर (बीजीएल) खाते में इसकी एंट्री कर देता, ताकि हेड ऑफिस को रिकॉर्ड में अंतर न दिखे। इसके बाद फर्जी तरीके से जमा किए गए पैसे को निकालने के लिए बैंक की जिला मुख्यालय शाखा पर ग्राहकों द्वारा पैसा निकालना बताकर नकद की डिमांड भेजता।
वहां से एसबीआई की कोलारस शाखा में राशि भेज दी जाती। यह पैसा वह खुद रख लेता था। उसने 2013 से 2021 तक 319 फर्जी एंट्री की। 2021 आते-आते उसे चिंता सताने लगी कि कहीं चोरी पकड़ी ना जाए। कारस्तानी छिपाने जरूरी था बीजीएल दुरुस्त रखना।
उसमें 37 करोड़ रुपए नामे (डेबिट) खड़ा हो गया था, यानी इस शाखा के जो 37 करोड़ राकेश ने एसबीआई में जमा दिखाए थे, असल में वहां एक रुपया नहीं था। इसे छिपाने राकेश ने लुकवासा सोसायटी के कृषि ऋण खाते को डेबिट कर बीजीएल खाते में 37 करोड़ जमा करा दिए, लेकिन यह रकम बैंक की कृषि ऋण की मांग वसूली में आ गई।
•1997 में नौकरी लगी थी
सोने के पलंग पर सोता, रईसी देख लोग पूछते तो कहता- गड़ा धन मिला है। राकेश की नौकरी 1997 में लगी थी। नौकरी के साथ उसने पढ़ाई पूरी की। हेराफेरी का पैसा आने लगा तो परिवार की लाइफस्टाइल ही बदल गई। राकेश की पत्नी सोने से लदी रहने लगी। बेटे सोने की चेन और ब्रेसलेट पहनते। लोग कहते कि राकेश के घर में सोने की चारपाई है। सोने की थाली में खाना खाता है। कोई पूछता तो वह कहता- गड़ा धन मिला है।
इनका कहना है
घोटाले में जिन लोगों के खातों से ट्रांजेक्शन हुआ है, उन पर केस दर्ज करने के लिए महाप्रबंधक और प्रशासक को हमने चिट्ठी लिख द है। खाताधारकों के पैसे लौटाने की लगातार कोशिश जारी है।
पीएस तिवारी, एमडी, अपेक्स बैंक, भोपाल
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