Page Nav

HIDE

Breaking News:

latest

Total Pageviews

किसका सूरज डूबेगा ,किसका उगेगा ?

  किसका सूरज डूबेगा ,किसका उगेगा ? ग्वालियर /राजनीति पर लिखने का रत्ती भर मन नहीं है ,क्योंकि इस समय राजनीति में जिसे देखो वो गाल बजाने पर आ...

 किसका सूरज डूबेगा ,किसका उगेगा ?


ग्वालियर /राजनीति पर लिखने का रत्ती भर मन नहीं है ,क्योंकि इस समय राजनीति में जिसे देखो वो गाल बजाने पर आमादा है ।  अखिलेश यादव हों या उद्धव ठाकरे ,या पंत प्रधान माननीय नरेंद्र मोदी। जिसके मुंह में जो आ रहा है ,सो बोले जा रहा है ।  जनता की कोई नहीं सुन रहा। ऐसे में अगर हम और आप भी मौन सिंह बने रहे तो देश का बंटाधार तय है। देश को बचाना है


तो सभी को इन गाल बजाने वालों के बारे में बोलना ही होगा। गाल बजाना लोकतंत्र में जनता का सबसे बड़ा अपमान है।

प्रगति मैदान दिल्ली में भारत मंडपम का  भूमि पूजन करते हुए पंत प्रधान ने गाल बजाते हुए कहा की उनके तीसरे कार्यकाल  में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। पंत प्रधान के मुंह में घी-शक़्कर। ऐसा होना भी चाहिए लेकिन क्या ये सब मणिपुर को जलाकर और देश में संवैधानिक संस्थाओं का


खात्मा करने की कीमत पर होगा ? पंत प्रधान देश और दुनिया के एक बड़े नेता हैं लेकिन उन्होंने ज्योतिष कब सीख लिया ? वे कैसे अपने तीसरे टर्म की घोषणा कर सकते हैं ,जबकि अभी तीसरे कार्यकाल के लिए जनादेश गर्भ में है। और एक-एककर राज्य उनकी मुठ्ठी से खिसक रहे हैं। जाहिर है कि उनके पास तीसरा आम चुनाव जीतने के लिए झूठ का कोई तीसरा बड़ा पिटारा है। ये पिटारा एन वक्त पर सामने आएगा।

पंत प्रधान की ही तरह महाराष्ट्र में अपनी पार्टी को खंडित करा चुके उद्धव ठाकरे गाल बजा रहे है।  वे कह रहे हैं कि जब अंग्रेजी राज का सूरज डूब सकता है ,तो मोदी राज का सूरज क्यों नहीं डूब सकता ? ठाकरे एक आहत आत्मा है।  वे केवल महाराष्ट्र की सेवा केलिए जन्मे हैं न कि राष्ट्र की सेवा केलिए,लेकिन उन्हें गाल बजाने का अधिकार उतना ही है जितना की माननीय पंत प्रधान को। वे गाल बजा सकते हैं और बजा रहे हैं ,किन्तु उनके पास इतनी राजनीतिक ताकत नहीं है कि वे भाजपा और पंत प्रधान के सूरज को उगने से रोक सकें। यदि आम चुनाव से पहले वे इतनी ताकत जुटा लें तो फिर क्या बात है।

मोदी  राज के दो कार्यकालों में काल कवलित हुई समाजवादी पार्टी के चश्मों-चिराग अखिलेश यादव भी गाल बजाने में किसी से पीछे नहीं हैं। पीछे रहें भी क्यों ? आखिर वे एक पुराने दल के सुप्रीमो है।  उनके पिता देश के रक्षा मंत्री रहे हैं,इसलिए उन्हें पूरा हक है कि वे देश को भाजपा के कोप से बचाएं,किन्तु ऐसा होगा कैसे ? वे और उनकी पार्टी भले ही नवगठित इंडिया के साथ हो लेकिन उत्तरप्रदेश में तो उनके संगठन की नींव हिल चुकी है। वे किस आधार पर अगले आम चुनाव में भाजपा के सफाये का दावा कर रहे हैं ?

राजनीति में किसी भी राज का सफाया कोई कठिन काम नहीं है। देश पर तीन दशक अखंड राज करने वाली कांग्रेस के राज का सफाया हुआ,देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार का भी सफाया हुआ ।  अटल जी  की सरकार भी गयी और मोदी जी की भी सरकार एक न एक दिन जरूर जाएगी। राजनीति में सूपड़ा साफ़ हो जाता है। कोई भी दल इससे बचा नहीं है। बच भी नहीं सकता ,क्योंकि जनता के मन की बात कोई नहीं समझ पाता। पंत प्रधान तो केवल अपने मन की बात समझते हैं। लेकिन उनका आत्मविश्वास  स्तुत्य है ।  हर राजनेता के पास ऐसा ही आत्मविश्वास होना चाहिए। आत्मविश्वास से लवरेज नेता ही देश का कल्याण कर सकते हैं। कल्याण का रंग कैसा होगा ,ये कहना कठिन है। मोदी जी जैसा आत्मविश्वास या तो पंडित जवाहरलाल नेहरू में था ,या श्रीमती इंदिरा गांधी में।

आपको याद दिला दूँ कि इसी आत्मविश्वास के बूते ही जवाहरलाल नेहरू,इंदिरा गाँधी,लाल बहादुर शास्त्री ,पीव्ही  नरसिम्हाराव ने एक-दो नहीं बल्कि पंद्रह-पंद्रह बार अविश्वास प्रस्तावों का सामना किया। मोदी जी तो किस्मत वाले हैं कि उन्हें  पहली बार अविश्वास  प्रस्ताव का सामना करना पड़ रहा है।  विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना आसान है किन्तु जनता के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना आसान नहीं है ,क्योंकि जनता अपने अविश्वास प्रस्ताव का कोई नोटिस नहीं देती। जनता नेताओं की तरह गाल भी नहीं बजाती। जनता सीधी कार्रवाई करती है। जनता की आंधी का सामना 56  ' का सीना वाले ही कर पाते हैं।

दिल्ली के प्रगति मैदान परिसर में बने  इंटरनेशनल एग्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर (आईईसीसी) का उद्घाटन करते हुए पंत प्रधान ने  कहा कि उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर बदल रहा है।  दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भारत में है, सबसे ऊंचाई पर बनी टनल भारत में है।  सबसे ऊंचाई पर बनी सड़क भारत में है।  सबसे बड़ा स्टेडियम और स्टैच्यू...सब भारत में है। लेकिन उन्होंने ये नहीं कहा कि जलता हुआ मणिपुर भी भारत में ही है। खैर ये उनकी मर्जी है कि वे मणिपुर को देश में शामिल मानें या न मानें। मणिपुर पर बोलें या न बोलें।

देश की जनता को तय करना है कि उसे गाल बजाने वाले नेता चाहिए या फिर देश के लिए काम करने वाले नेता। देश जोड़ने वाले नेता चाहिए या देश को तोड़ने वाले नेता।आकाशवाणी   के जरिये बात करने वाले नेता चाहिए या जनता के  बीच रहने वाला। आत्ममुग्ध नेता चाहिए या सहज-सरल नेता। टेलीप्रॉम्प्टर के सहारे बोलने वाला नेता चाहिए या अपनी बुद्धि से बोलने वाला नेता। पंत प्रधान के दावे से मुझे न कोई हैरानी है और न मुझे उनके तीसरे टर्म के दावे में कुछ नया लगता ह।  उनसे पहले भी बहुत से नेता तीन टर्म देश की सेवा कर चुके हैं। कीर्तिमान तो चार बार चुनाव जीतने पर बनेगा। और तब तक गंगा-जमुना में कितना पानी बह जाएगा ,कोई नहीं जानता।

पंत प्रधान ने हालाँकि अपनी आदत के अनुसार गाल बजाए हैं किन्तु देश को उन्हें गंभीरता से लेना चाहिए। पंत प्रधान पूरी गंभीरता से अपना काम करते हैं। गाल बजाने का काम भी। मै मोदी जी को सबसे ज्यादा गंभीर प्रधानमंत्री मानते हैं। उनकी गंभीरता का मुकाबला नहीं है। गंभीरता के मामले में उनका मुकाबला फिलहाल भारत में कोई और नहीं कर सकता। ऐसा गंभीर नेता युगों-युगों में अवतरित होता है। अवतार पुरुष ही भविष्यवाणी कर सकते हैं। बहरहाल देश को अपने भविष्य का फैसला करने के लिए छह महीने का समय अभी है। अपने भले - बुरे का निर्णय नेता नहीं बल्कि जनता को ही करना है। जनता स्वविवेकी है। जनता का विवेक नेताओं के विवेक से ज्यादा तीक्ष्ण होता है।

@ राकेश अचल

achalrakesh1959@gmail.com

No comments

Contact Form

Name

Email *

Message *

Latest Articles