Page Nav

HIDE

Breaking News:

latest

Total Pageviews

बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में उड़ीसा युवतियों को खरीदा जा रहा है

  बुंदेलखंड/बुंदेलखंड में कागजी दुल्हन:- 4 सितंबर 2005 की दोपहर एक महिला टैक्सी से छलांग लगाकर के दौड़ती हुई झांसी शहर के नवाबाद थाने में बद...

 बुंदेलखंड/बुंदेलखंड में कागजी दुल्हन:- 4 सितंबर 2005 की दोपहर एक महिला टैक्सी से छलांग लगाकर के दौड़ती हुई झांसी शहर के नवाबाद थाने में बदहाल हालत में पहुंचती है और थाने में लाइट ना होने के कारण उमस भरी गर्मी से बाहर टहल रहे


पुलिसकर्मियों से जो अपनी कहानी बताती है तो पुलिसकर्मी सुनकर के दंग रह जाते हैं कि आखिरकार मांग का सिंदूर ही क्यों उसे बेचने को मजबूर है हिंदू धर्म में तो 7 जन्मों का रिश्ता माना जाता है पुलिसकर्मी महिला की टूटी-फूटी हिंदी सुन कर के उसे आराम से बिठाते हैं और पीने को पानी देते हैं इसके बाद महिला ने जो कहानी पुलिसकर्मियों की बताई वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी महिला ने बताया कि वह उड़ीसा राज्य की है और उसे टीकमगढ़ जिले के मोहनगढ़ गांव में शादी की गई थी इसके बाद जब उसके पति का मन भर गया तो उसने उसे टहरौली में जो झांसी जनपद में पड़ता है बेच दिया है जब उसका मन भर गया तो वह तीसरे व्यक्ति को बेचने के लिए झांसी ले आया इस खबर को झांसी के कई पत्रकारों ने कवर किया और इसकी सूचना टीकमगढ़ से होने के कारण मुझे दी………. जब मैंने इस खबर पर गहन अध्ययन किया तो पता चला कि बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों में उड़ीसा युवतियों को खरीद कर लाया लाया जा रहा है और इसका एक बड़ा रैकेट बुंदेलखंड के 13 जिलों में काम कर रहा है ………तत्कालीन चैनल हेड को मैंने इस पूरी घटना से दूरभाष पर अवगत कराया और लिखित में स्टोरी आईडिया भेजा और बताया कि इस खबर का पूरा पर्दाफाश करने में कम से कम 2 माह का समय मुझे लगेगा तत्कालीन इनपुट हेड और चैनल हेड की सहमति के बाद इस खबर को स्वीकृति दे दी गई एक मन में प्रबल इच्छा थी कि आखिरकार बुंदेलखंड की युवाओं को अपना जीवनसाथी चुनने के लिए उड़ीसा जैसा गरीब राज्य क्यों चुनना पड़ रहा है ?और इसके पीछे पूरा नेटवर्क कैसे काम करता है?  मैंने सबसे पहले बुंदेलखंड के झांसी महोबा छतरपुर और टीकमगढ़ के ग्रामीण अंचलों का दौरा किया और अपने सूत्रों से पता किया कि किस गांव में सबसे अधिक उड़ीसा की बालाएं खरीद कर लाई गई हैं तो पता चला कि इस का मास्टरमाइंड और मुख्य दलाल झांसी जनपद की बरुआसागर में रहता है मैंने मन में ठाना कि इस दलाल का पर्दाफाश करना है काफी प्रयास के बाद मैंने इसका स्टिंग ऑपरेशन किया और उसने जो कहानी बताई उसको सुनकर के रोंगटे खड़े हो गए उसने बताया कि बुंदेलखंड के 13 जिलों में उसका प्रत्येक गांव में दलाल सक्रिय है गाव में जिनकी शादी नहीं होती है उनको वह उड़ीसा से लड़कियों को खरीद कर बैच देते हैं स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट करा कर के उनके साथ रखवा देते हैं इसके साथ ही मैंने ग्रामीण अंचलों में रह रही उड़ीसा बालाओं की स्थिति और उनसे बातचीत की जो टूटी-फूटी हिंदी बोल पाती थी उन्होंने अपनी समस्याओं से भी अवगत कराया अब मन में विचार आया कि आखिरकार इस बड़े नेटवर्क पर प्रशासन क्यों नहीं कार्यवाही कर पा रहा है तत्कालीन झांसी पुलिस अधीक्षक, टीकमगढ़ और छतरपुर के पुलिस अधीक्षक इस पूरे मामले पर मेरी बात हुई थी बुंदेलखंड के चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता मनोज चौबे ने इस पूरे मामले में अपना तर्क देते हुए बताया था बुंदेलखंड में……… उड़ीसा वालाओ में सर्व धर्म की विशेषता है वह जातिवाद से हजारों कोष दूर होती हैं वह कहते हैं कि उड़ीसा से आई हुई किसी भी जाति की महिला बुंदेलखंड में आज बहू है जब मैंने इस खबर को किया था उस समय बुंदेलखंड का लिंगानुपात 1000 पर 825 महिलाएं थी बाकी  पूर्ति करने के लिए दलालों का एक बड़ा  गिरोह हैंजो उड़ीसा से बालाओ को खरीद कर लाता था और बुंदेलखंड के गांव मैं युवाओं की शादी रचाता था  तत्कालीन टीकमगढ़ के पुलिस अधीक्षक आरके शिवहरे भी मानते थे कि अपने परिवार का वंश चलाने के लिए बुंदेलखंड के युवा उड़ीसा से लड़कियां खरीद कर लाते हैं वर्ष 2005 में अकेले टीकमगढ़ जिले में 160 मामले महिला उत्पीड़न के सामने आए थे जिनमें 80 परसेंट महिला उत्पीड़न के मामले उड़िया बालाओं के थे उन्होंने तत्कालीन कई दलालों पर मामला भी कायम किया था ……….इस पूरी स्टोरी को करते समय हर जिले से इस बात की पुष्टि हुई कि बुंदेलखंड में वंशानुक्रम को चलाने के लिए भ्रूण हत्याएं होती हैं क्योंकि लोगों की मानसिकता है कि अगर लड़का होगा तो उनका बंश चलेगा और लड़की होगी तो उनका बंश नहीं चलेगा जिसके चलते लड़की होने पर लोग  भ्रूण हत्या कर देते हैं इस कारण से लगातार बुंदेलखंड का लिंगानुपात बिगड़ रहा है तत्कालीन टीकमगढ़ जिले की सीएमएचओ संत खरे ने भी इस बात को स्वीकार किया था उड़ीसा से खरीद कर लाई गई बालाओं को ₹100 के स्टांप पर इकरारनामा करके उन्हें किसी भी व्यक्ति के साथ उसे पत्नी का दर्जा दिया दे दिया जाता है लेकिन कानून के जानकार कहते हैं कि यह एग्रीमेंट हिंदू विवाह अधिनियम के तहत नहीं होता है इसमें ना तो पत्नी को अपने पति की संपत्ति और ना ही अपने बच्चों पर पिता की संपत्ति पर अधिकार होता है इस तरह के इकरारनामा के कारण जिंदगी भर उड़िया बालाएं अपना संघर्ष करती हैं जब उड़िया बालाओं को शादी का झांसा देकर के दलाल बुंदेलखंड की सर जमी पर लाते हैं तो उनके विवाह मंडप बनता है नोटरी का ऑफिस और सात फेरों की जगह सुनाई देती है उन्हें कंप्यूटर और टाइपराइटर की आवाज  शपथ पत्र के कागजी विवाह को कानूनी मान्यता ना होने के कारण वह हिंदी बोलने से अनजान उड़िया महिलाओं के साथ उत्पीड़न होना आम बात है जब इस तरह के मामले पुलिस थाना तक पहुंचते हैं  लड़कियों की उड़िया भाषा न समझ पाने के कारण पुलिस भी ऐसे मामलों में कार्रवाई करने की जगह लड़के वालों से सेबा करके मामला रफा-दफा कर देती है? वही तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने इस मामले को नकारा था………. करीब 2 महीने की मेहनत के बाद सहारा समय मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पर…. मुद्दे की बात….. में इस पूरे घटनाक्रम को उठाया और नाम दीया…….…. कागजी दुल्हन……… जिसमें 7 पैकेज बनाए गए और 30 मिनट का कार्यक्रम प्रसारित हुआ । इसी कार्यक्रम को टेलीविजन दुनिया का बेस्ट अवार्ड मिला था यह कार्यक्रम 11दिसंबर 2005 में प्रसारित किया गया था ।( बुंदेलखंड के एक नए मुद्दे के साथ हाजिर होंगे अगले भाग में)#bundelkhand

No comments

Contact Form

Name

Email *

Message *

Latest Articles