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राष्ट्रहित में काम आए वही जीवन सार्थक : चैतन्य

  राष्ट्रहित में काम आए वही जीवन सार्थक : चैतन्य  साहित्यकार डॉ. भगवान स्वरूप की 75वीं वर्षगांठ पर आईकॉम पर शहर के प्रबुद्धजनों ने किया उनका...

 राष्ट्रहित में काम आए वही जीवन सार्थक : चैतन्य


 साहित्यकार डॉ. भगवान स्वरूप की 75वीं वर्षगांठ पर आईकॉम पर शहर के प्रबुद्धजनों ने किया उनका सम्मान

 ग्वालियर । स्वर्गीय श्रीमती प्रवीणा पाण्डेय मेमोरियल की ओर से इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मीडिया एक्सीलेंस (आईकॉम) पर आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत अंचल के वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार एवं लोकमंगल पत्रिका के संपादक डॉ. भगवान स्वरूप चैतन्य की 75वीं वर्षगांठ पर शहर के प्रबुद्धजनों ने उनका अमृताभिनंदन कर सम्मान किया। 


सम्मान समारोह के मुख्यअतिथि डॉ. अशोक मिश्रा थे। अध्यक्षता कार्यक्रम के मुख्य सुत्रधार एवं आईकॉम के डायरेक्टर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. केशव पाण्डेय ने की। जबकि सेवा निवृत संयुक्त संचालक सुभाष अरोरा विशिष्ट अतिथि थे। 

डॉ. पाण्डेय ने स्वागत भाषण के साथ ही चैतन्य के जीवन और सामाजिक योगदान का सारगर्भित तरीके से बखान किया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेश सम्राट, विजय कृष्ण योगी, प्रकाश मिश्र, संयुक्त संचालक शिक्षा दीपक पाण्डेय एवं मुख्य अतिथि श्री मिश्रा ने साहित्यकार स्वरूप जीवन के अनछुए पहलुओं से रूबरू कराते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के जरिए चैतन्य के जीवन की सार्थकता को दर्शाया। इस मौके पर अतिथियों ने शॉल, श्रीफल, स्मृति चिंह और अभिनंदन-पत्र भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार व कवियित्री डॉ. मंजूलता आर्य ने तथा आभार व्यक्त राजेंद्र मुदगल ने किया।

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 मिल गई प्रेम की प्रद्मश्री

साहित्यकार चैतन्य ने कहा कि मुझे बेशक राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का अवॉर्ड न मिला हो लेकिन ग्वालियर-चंबल अचंल के मित्रों ने आज जो सम्मान दिया है उसे देख लगा जैसे प्रेम की पद्मश्री मिल गई। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन उम्र के लिहाज से कहने को तो बहुत लंबा है लेकिन गिनती की सांसे हैं, गिनती की धड़कने हैं।  गुजरने वाला एक-एक पल लौटने वाला नहीं हैं। ऐसे में हमनें अपने समय का सही ढंग से इस्तेमाल कर लिया तो अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं।  और यदि हमने समाज व राष्ट्र के लिए कुछ दिया तो फिर जीवन सार्थक है। इसलिए जो भी करें अपना सर्वश्रेष्ठ करें और राष्ट्रहित में अपना योगदान दें। गरीब बच्चों कों शिक्षा प्रदान कर उनके जीवन में खुशियों का उजास पैदा करें। ऐसे लोकमंगल के कार्यों से सकारात्मकता का प्रभाव बढ़ेगा और मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध होगी। 

  इन्होंने किया सम्मान

शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक दीपक पाण्डेय, इतिहासकार व साहित्यकार डॉ. सुरेश सम्राट, महेश पाराशर, किशन मुदगल, साहित्यकार सुरेंद्र सिंह कुशवाह, जगदीश गुप्त व रामचरण चिढार, वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र झारखरिया, संपादक श्याम श्रीवास्वत, दीपक तोमर, मनोज अग्रवाल, संतोष वशिष्ठ, प्रो. अवधेश चंसौलिया, पीडी पाण्डेय, राजेंद्र मुदगल, आदेश सक्सेना, विजय पाण्डेय, हरिओम गौतम, भगवती शुक्ला, जिंतेंद्र डंगरौलिया, साहित्यकार राजेश अवस्थी लावा, डॉ. आदित्य भदौरिया, सतीश अग्रवाल, संतोष पाण्डेय, प्रकाश मिश्र, सुमिती वैस, राजेंद्र सिंह व प्रमोद पाण्डेय ने डॉ. भगवान स्वरूप का सम्मान किया।

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