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कोलारस रेंजर कृतिका शुक्ला का निलंबन, अब चार्ज श्रुति राठौर पर

  कोलारस रेंजर कृतिका शुक्ला का निलंबन, अब चार्ज श्रुति राठौर पर एकाएक श्रीमती शुक्ला को अशोकनगर भेजा, अभी लूपलाइन में शिवपुरी। वन विभाग में...

 कोलारस रेंजर कृतिका शुक्ला का निलंबन, अब चार्ज श्रुति राठौर पर


एकाएक श्रीमती शुक्ला को अशोकनगर भेजा, अभी लूपलाइन में

शिवपुरी। वन विभाग में एकाएक एक मामला प्रकाश में आया जिसमें महिला रेंजर कृतिका शुक्ला ने डीएफओ सुधांशू यादव पर शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा के आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत सीसीएफ डॉ. अनुपम सहाय को की थी जिसमें सीसीएफ ने महिला रेंजर को सात दिवस के भी साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए लिखा था। यह सब प्रक्रिया चल ही रही थी कि अचानक से सीसीएफ ने महिला रेंजर को निलंबित कर दिया इसके बाद इस मामले में वीट गार्ड सतेन्द्र खरे को डीएफओ सुधांशू यादव ने निलंबित कर दिया। इस मामले में बताना होगा कि जब महिला रेंजर कृतिका शुक्ला ने डीएफओ की शिकायत सीसीएफ से की और सीसीएफ ने सात दिवस में साक्ष्य प्रस्तुत करने का लिखा तो महिला रेंजर ने केवल चार दिन में अपनी तरफ से साक्ष्य प्रस्तुत किए, लेकिन उन साक्ष्यों पर ध्यान न देते हुए महिला रेंजर के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही हो गई। यह मामला शिवपुरी के वन विभाग में काफी हद तक चर्चा का विषय बना हुआ है। तत्काल में जो जानकारी सामने आई है उसमें बताया गया है कि कोलारस रेंजर कृतिका शुक्ला के निलंबन के बाद कोलारस का चार्ज पोहरी की महिला रेंजर श्रुति राठौर को दिया है जबकि तत्कालीन महिला रेंजर कृतिका शुक्ला को अशोकनगर जिले में अटैच किया गया है। इस जिले में महिला रेंजर कृतिका शुक्ला पर कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है इस तरह से अभी महिला रेंजर कृतिका शुक्ला लूपलाइन में हैं। इनके साथ वीट गार्ड सतेन्द्र खरे को कोलारस से हटाकर सतनवाड़ा रेंज में स्थानांतरित किया है।

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विवाद का पूरी तरह से नहीं हुआ खुलासा

पूरे विवाद पर एक नजर डालें तो सबसे पहले वीट गार्ड सतेन्द्र खरे की एक वीडियो सामने आती है जिसमें उसने डीएफओ पर प्रताडऩा के आरोप लगाए। इसके साथ ही संबंधित महिला रेंजर मानसिक और शारीरिक प्रताडऩा के आरोप जड़ती हैं। मामला सीसीएफ पर पहुंचता है इसके बाद संबंधित महिला रेंजर को सीसीएफ की तरफ से निलंबित कर दिया जाता है जबकि वीटगार्ड को डीएफओ की तरफ से निलंबित किया जाता है। पूरा मामला यहीं आकर रुक जाता है ऐसे में इस पूरे मामले में कई बड़े सवाल खड़े होते हैं, लेकिन इस पूरे मामले पर वन विभाग का कोई भी वरिष्ठ अधिकारी अपना मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है।

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