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ईदगाह की दुकानों की तोडफ़ोड़ में किसका था हाथ...? पटाक्षेप आजतक नहीं

  ईदगाह की दुकानों की तोडफ़ोड़ में किसका था हाथ...? पटाक्षेप आजतक नहीं शिवपुरी। शहर के काली माता मंदिर के समीप ईदगाह पर कमेटी के द्वारा दुकान...

 ईदगाह की दुकानों की तोडफ़ोड़ में किसका था हाथ...? पटाक्षेप आजतक नहीं


शिवपुरी। शहर के काली माता मंदिर के समीप ईदगाह पर कमेटी के द्वारा दुकानों का निर्माण कराया गया था जब यह निर्माण शुरू हुआ उस समय प्रशासन ने इस निर्माण पर ध्यान न देकर कोई आपत्ति नहीं जताई। इसके बाद ईदगाह परिसर में देखते ही देखते बड़ी-बड़ी दुकानों का निर्माण हो गया और एक बड़ी मार्केट बनकर तैयार हो गई। सूत्र बताते हैं कि ईदगाह पर दुकानों का जो निर्माण हुआ था उसको लेकर समाज विशेष के एक व्यक्ति ने अपने हस्ताक्षर कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था जिसके चलते प्रशासन ने आगे की कार्यवाही शुरू की थी। हालांकि उक्त समाज विशेषक अपने पूरे समाज में यह कहता पाया गया कि किसी ने मेरे फर्जी हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन समाज को इस बात पर विश्वास नहीं हुआ। नतीजा हस्ताक्षर करने वाले इस समाज विशेष व्यक्ति पर पूरा समाज जमकर नाराज हुआ। सवाल आजतक बना हुआ है कि आखिर ईदगाह की दुकानों पर तोडफ़ोड़ की जो कार्यवाही हुई उसमें समाज के किस व्यक्ति का हाथ था। हालांकि प्रशासन ने एकराय होकर ईदगाह परिसर की दुकानों को समाज के विशेष आग्रह करने के बाद भी पूरी तरह से तोड़ दिया और अवैध निर्माण बताकर जमीदोज कर नेस्तनाबूत कर दिया। समाज की लोगों की मानें तो इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस नेता अब्दुल रफीक अप्पल भाई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी जिसमें सफाई दी थी कि जो आवेदन प्रशासन को दिया था उस आवेदन को फर्जी बताया था। जबकि सूत्रों की मानें तो वह आवेदन 2016 में अप्पल ने ही दिया था। सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि आवेदन सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद समाज के युवाओं ने अप्पल के घर पर जाकर हल्ला बोल कर दिया और भद्दी-भद्दी गालियां दीं थी। गनीमत रही कि मौके पर अप्पल या उसके परिवार के सदस्य नहीं थे नहीं तो कोई बड़ी अनहोनी होने की अशंका थी। आखिर में इतना ही कहा जा सकता है कि ईदगाह की दुकानों को लेकर आजतक पटाक्षेप नहीं हुआ।

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