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गलत नीति के चलते भेंट मारकुण्डी का खनन चढ़ा बिल्ली उद्योग

  गलत नीति के चलते भेंट मारकुण्डी का खनन चढ़ा बिल्ली उद्योग खनन क्षेत्र बंदी के कगार पर, छाया सियापा, ट्रकों के थमे चक्के शासन के नियमानुसार...

 गलत नीति के चलते भेंट मारकुण्डी का खनन चढ़ा बिल्ली उद्योग

खनन क्षेत्र बंदी के कगार पर, छाया सियापा, ट्रकों के थमे चक्के

शासन के नियमानुसार ई-टेंडर के द्वारा स्वीकृत खदानों से जुड़े व्यवसायियों की बढ़ रही मुश्किलें

सोनभद्र, वाराणसी, जौनपुर, चंदौली सहित पूरा पूर्वांचल प्रभावित

रिपोर्ट कामेश्वर विश्वकर्मा 

सोनभद्र उप्र /






प्रदेश में दूसरे नंबर में राजस्व देने वाला सोनभद्र का खनन क्षेत्र बिल्ली मारकुंडी शासन की गलत नीति के कारण बदहाली के दौर से गुजर रहा है। पूरे क्रशर क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया है। व्यवसायी पूर्व के शासनादेश में 1.4 घनमीटर पत्थर का घनत्व में 2.84 टन जो कि पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र में खनन पट्टो में जारी हुआ है, उसमें भी घनत्व एवं वजन में साफ- साफ जिक्र किया गया है, जिसमें पूर्व शासन द्वारा घनत्व और वनज में संशोधन करके नया शासनादेश जारी किया गया था, परंतु शासन में फेर बदल होने से पूर्व में जारी शासनादेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई, जिससे पूरा खनन उद्योग बंदी के कगार पर चले जाने के साथ ही भारी राजस्व का नुकसान भी हो रहा है जो पूरी तरह से न्यायसंगत नहीं है, जिसके कारण बिल्ली मारकुंडी क्षेत्र के पट्टाधारकों, ट्रांसपोर्टर, क्रशर मालिकों, गड़ी मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, वहीं व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को खनिज बहुत महंगे दर पर खरीदना पड़ रहा है, जिससे मकान बनाने का सपना सजोये व सरकारी कार्यो, रोड, सरकारी बिल्डिंग एवं अन्य प्रोजेक्ट पूरी तरह से प्रभावित होंगे। खनन की लाइफ लाइन से जुड़े क्रशर, टीपर चालक, कंप्रेशर आपरेटर, पोकलेन आपरेटर, मजदूर तथा व्यवसायियों के साथ ही इस उद्योग से प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से जुड़े लोगों की मुश्किलें और बढ़ जाएगी। खनन उद्यमियों की माने तो जब स्वच्छता प्रमाण पत्र में साफ लिखा हुआ है, उसके बावजूद शासन द्वारा पूर्व में जारी आदेश को बदल दिया गया, जिससे उद्यमियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।

वहीं सोनभद्र, वाराणसी, जौनपुर व चन्दौली सहित पूरा पूर्वांचल प्रभावित हो गया है। ज्यादातर ट्रकों के चकके थम गए है। वहीं दूरी ओर करोड़ों रुपये लगाकर शासन के निमयानुसार स्वीकृत खदानों से जुड़े व्यवसायियों की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ट्रांसपोर्टरों की माने तो इस समय गिट्टी का रेट बढ़ने की वजह से और राज्यों की ओर जाने को मजबूर हो रहे है। उनका कहना है कि 14 चक्का ट्रक परिवहन विभाग द्वारा पासिंग क्षमता 42 टन है, जिसमें गाड़ी का वनज 13 टन होता है। इस हिसाब से 29 टन माल 14 चक्का में लादकर जा सकता है, जिससे 10.02 घनमीटर का खनिज प्रपत्र लगना चाहिए, लेकिन शासनादेष रद्द होने के कारण 18 घनमीटर प्रपत्र लेना पड़ रहा है। इस तरह आठ घनमीटर अतिरिक्त रायल्टी लग रही है, जिससे गिट्टी की लागत बढ़ने की वजह से पूरे पूवीचल में गिट्टी की मांग कम हो गई है, जिससे सस्ती गिट्टी के लिए अन्य प्रदेष की ओर रूख कर रहे है, वहीं भारी क्षति भी हो रही है। शासन- प्रशासन को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस उद्योग से हजारों मजदूर, व्यवासायी जुड़े होने से उनकी रोजी-रोटी चलती है।

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