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कैबिनेट में अब शिवपुरी जिले को प्रतिनिधित्व का इंतजार

  कैबिनेट में अब शिवपुरी जिले को प्रतिनिधित्व का इंतजार -चारों भाजपा विधायक मंत्री बनने की कतार में शिवपुरी। मुख्यमंत्री पद पर आश्चर्य जनक र...

 कैबिनेट में अब शिवपुरी जिले को प्रतिनिधित्व का इंतजार

-चारों भाजपा विधायक मंत्री बनने की कतार में



शिवपुरी। मुख्यमंत्री पद पर आश्चर्य जनक रूप से उज्जैन दक्षिण के विधायक और पिछली सरकार में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रहे मोहन यादव की ताजपोशी के बाद अब चर्चाऐं इस बात पर केन्द्रित हो गई है कि शिवपुरी जिले में किसे मंत्री मंडल में प्रतिनिधित्व मिलेगा। जिले के चारों भाजपा विधायक मंत्री बनने की कतार में हैं और उन्हें क्यों मंत्री बनाया जाए इसके लिए उनके पास तर्क भी हैं। ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि क्या शिवपुरी जिले को शिवराज मंत्री मंडल की तरह डबल प्रतिनिधित्व मिलेगा। पिछली सरकार में जिले के तीन भाजपा विधायकों में से दो को मंत्री बनने का मौका मिला था। जबकि इस बार तो तीन के स्थान पर चार विधायक निर्वाचित होकर आए हैं। यदि यह संभव नहीं हुआ तो क्या किसी एक को भी मंत्री बनने का अवसर मिलेगा अथवा शिवपुरी जिले को निराशा का सामना करना पड़ेगा, यह एक बड़ा सवाल है?
शिवराज सिंह सरकार में शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया खेल एवं युवा कल्याण मंत्री थी जबकि पोहरी विधायक सुरेश राठखेड़ा को लोकनिर्माण राज्य मंत्री का दायित्व दिया गया था। इस बार शिवपुरी से देवेन्द्र जैन, कोलारस से महेन्द्र यादव, करैरा से रमेश खटीक और पिछोर से प्रीतम लोधी भाजपा विधायक निर्वाचित हुए हैं। शिवपुरी विधायक देवेन्द्र जैन कट्टर भाजपाई है और उन्हें तीसरी बार विधायक बनने का अवसर मिला है। शिवपुरी से वह 1993 में पहली बार निर्वाचित हुए थे। दूसरी बार कोलारस से वह 2008 में निर्वाचित हुए। जिले के वह अकेले ऐसे विधायक हैं जो अभी तक पार्टी लाईन से बाहर नहीं हुए हैं। उनकी पार्टी और संघ के प्रति निष्ठा असंदिग्ध है। श्री जैन मिलनसार स्वभाव के औैर धनवल संपन्न है। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं से उनका अच्छा समन्वय है। इस कारण उनके मंत्री मंडल में शामिल होने की संभावना सबसे प्रबल है। मंत्री पद पर दूसरा सशक्त दावा कोलारस विधायक महेन्द्र यादव का है। श्री यादव मूल भाजपाई नही है। वह सिंधिया समर्थक है और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। श्री यादव दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। पहली बार अपने विधायक पिता स्व. रामसिंह यादव के निधन के बाद हुए उप चुनाव में वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में कोलारस से विजयी हुए थे। 2018 के विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र रघुवंशी से 750 मतों से पराजित हुए थे। श्री यादव की निष्ठा भाजपा से अधिक ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति है। उन्हें आशा है कि उनके गॉड फादर ज्योतिरादित्य सिंधिया उन्हें मंत्री मंडल में अवश्य शामिल करायेंगे। श्री यादव जिले में सबसे अधिक 50 हजार मतों से विजयी हुए हैं। मंत्री पद पर तीसरा सशक्त दावा कोलारस विधायक प्रीतम लोधी का है। उनके दावे की मजबूती का कारण यह है कि कांग्रेस जिस सीट पर पिछले 6 चुनावों से जीत रही थी उस पर उन्होंने भाजपा का झण्डा फहराने में सफलता हांसिल की। हालांकि श्री लोधी तीसरी बार पिछोर से खड़े हुए थे और चर्चा है कि उनकी उम्मीदवारी को देखकर 6 बार से लगातार जीत रहे कांग्रेस विधायक केपी ङ्क्षसह ने पिछोर से पलायन कर दिया था। प्रीतम लोधी लगभग 22 हजार मतों से कांग्रेस की इस सुरक्षित सीट से विजयी हुए। इस कारण वह पिछोर पर भाजपा का झण्डा फहराने के एवज में मंत्री के रूप में पुरूस्कार चाहते हैं। श्री लोधी पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती के अनुयायी हैं और अपने विवादास्पद बयानों से चर्चित रहते हैं। ब्राह्मण समाज के खिलाफ टिप्पणी करने के कारण उन्हें भाजपा से भी निष्कास्ति कर दिया गया था। श्री लोधी चुनाव जीतने के बाद खुले रूप में मंत्री बनने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। जनता से उन्होंने मुखर होकर कहा कि उन्हें मंत्री बनाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जाए। लेकिन सूत्रों के अनुसार उनके मंत्री बनने की संभावना कम हैं। मंत्री पद के चौथे दावेदार करैरा विधायक रमेश खटीक हैं। श्री खटीक की छवि साफ सुथरी है और भाजपा की गुटबाजी से वह दूर रहते हैं, यही कारण है कि उनके यशोधरा राजे सिंधिया से लेकर नरेन्द्र सिंह तोमर तक से अच्छे संबंध है। श्री खटीक दूसरी बार करैरा से निर्वाचित हुए हैं। वह पहली बार 2008 में करैरा से निर्वाचित हुए थे इसके बाद उनका टिकिट 2013 में काट दिया गया। 2018 में जब पार्टी ने उन्हें टिकिट नहीं दिया तो वह स्वर्णसमाज पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में कूंद पड़े। वह चुनाव तो नहीं जीत पाए लेकिन अपने जनाधार का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने भाजपा को अवश्य हरा दिया था। इस कारण भाजपा ने उन्हें 2023 में टिकिट दिया और वह यहां से लगभग 3100 मतों से विजयी हुए। उनकी यह जीत इसलिए भी यादगार रहेगी क्योंकि 2008 के बाद भाजपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करैरा सीट से कभी नहीं जीती थी। अनुसूचित जाति वर्ग को मंत्री मंडल में प्रतिनिधित्व शिवपुरी जिले से मिला तो उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है।
वॉक्स:-
चारों भाजपा विधायक अभी तक कभी मंत्री नहीं बने
शिवपुरी जिले के चारों भाजपा विधायकों को कभी मंत्री मंडल में शामिल होने का अवसर नहीं मिला। इस कारण यदि जिले के किसी भी विधायक को मंत्री बनाया जाता है तो उसे पहली बार मंत्री बनने का अवसर मिलेगा। इस कारण संभावना व्यक्त की जा रही है कि शायद जिले में मंत्री बनने वाले किसी भी विधायक को कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा।

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