स्कूटर पर दिखाई पड़ती थी जय-वीरू की जोड़ी तीन साल के कार्यकाल में लाखों के बारे-न्यारे भोपाल। मध्यप्रदेश के एक जिले में कुछ समय पहले जय और...
स्कूटर पर दिखाई पड़ती थी जय-वीरू की जोड़ी
तीन साल के कार्यकाल में लाखों के बारे-न्यारे
भोपाल। मध्यप्रदेश के एक जिले में कुछ समय पहले जय और वीरू की जोड़ी स्कूटर से घूमती दिखाई पड़ती थी। इस टाइटल के माध्यम से हम अपने पाठकों को एक सरकारी दफ्तर की सच्ची कहानी आप सबके सामने पेश कर रहे हैं। एक सरकारी दफ्तर में तीन साल के कार्यकाल में क्या कुछ हुआ उसके विपरीत देखने में आया कि एक कैमरामैन कर्मचारी जनसंपर्क अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर पूरे जिले को मैनेज करे हुए था। उस समय एक शिफ्ट व्हीडीआई कार जनसंपर्क अधिकारी के लिए भाड़े पर मुहैया कराई गई। इसके बाद उसी कार को एक वर्ष के अनुबंध पर जनसंपर्क कार्यालय में नियम विरूद्ध लगाया गया। इसके बाद कार मालिक को भुगतान देते समय कैमरामैन हर महीने के बिल पर पाँच हजार रुपए नगद जनसंपर्क अधिकारी के नाम से लेता रहा। एक वर्ष पूर्ण होने के बाद उसी कैमरामैन कर्मचारी ने अपने बेटे के नाम से नई कार खरीदकर जनसंपर्क अधिकारी के लिए पेश कर दी। जब साहब उस कार से अपने निजी काम निपटाकर वापस कार्यालय आए तो साहब ने उसी कार को एक वर्ष के लिए नियम विरूद्ध अपने कार्यालय में लगाए रखा। इस तरह से इस सरकारी दफ्तर में तीन साल के कार्यकाल में कई फर्जी बिल लगाकर उनका भुगतान प्राप्त कर लिया गया। इस खबर के माध्यम से हम अपने पाठकों को बताना चाहते हैं कि अधिकांश सरकारी कार्यालयों में पदस्थ चल रहे अधिकारी और कर्मचारी सरकार से आने वाले प्रतिवर्ष के बजट को कुछ फर्जी तरीके से खुर्दबुर्द कर रहे हैं और अपने चहेतों को लाभ पहुंचा रहे हैं। इस लाभ के पीछे अधिकारियों का कमीशन मुख्य वजह है। यह खबर सरकारी दफ्तर की है और इस सरकारी दफ्तर में कुर्सी पर बैठे तत्कालीन अधिकारी अधिकारी और कैमरामैन कर्मचारी को आम जनता जय-वीरू की जोड़ी के नाम से संबोधित किया करती थी। हम अपने पाठकों के लिए अगली खबर में फिर से एक नया सरकारी दफ्तर का घोटालों से भरा कारनामा लेकर आएंगे।
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