भोपाल /गुना बस हादसे को तीन दिन बीत गए हैं। हादसे में जिंदा जले 13 लोगों में से सिर्फ दो लोगों की ही शिनाख्त हो पाई है। 11 लोगों की पहचान...
भोपाल /गुना बस हादसे को तीन दिन बीत गए हैं। हादसे में जिंदा जले 13 लोगों में से सिर्फ दो लोगों की ही
शिनाख्त हो पाई है। 11 लोगों की पहचान होना बाकी है। उनके सैंपल DNA जांच के लिए ग्वालियर FSL भेजे गए हैं। संभवतः दो दिन में रिपोर्ट आएगी। जिनकी शिनाख्त नहीं हुई है, उनके परिवार वाले रिपोर्ट के इंतजार में हैं, जिससे आगे की प्रक्रिया हो सके। जब हमरी टीम ने घटना में अपनों को खोने वाले 5 परिवारों के लोगों से बात की। ये लोग आरोन के अलग-अलग गांवों में रहते हैं।
कुछ के घर तीन दिन से चूल्हा तक नहीं जला। एक शख्स की तो डेढ़ महीने बाद शादी होने वाली थी। उसकी पीली चिट्ठी भी आ चुकी थी। इस चिट्ठी को देखकर पिता की आंखों में आंसू आ जाते हैं। कोई रात को आने की बात कहकर निकला था, तो कोई सगे-संबंधी को गुना छोड़कर वापस लौट रहा था। परिजन बोले- रिश्तेदार घर आ रहे हैं। वे अब भभूति से अंतिम संस्कार की सलाह दे रहे हैं। डंपर ने मारी टक्कर; बस पलटी, फिर लगी आग
सिकरवार ट्रैवल्स की बस में 27 दिसंबर की रात करीब साढ़े 8 बजे हादसे के बाद आग लग गई थी, जिसमें 13 लोग जिंदा जल गए थे। 16 से ज्यादा झुलस गए हैं। जिनका इलाज गुना में चल रहा है। 4 घायलों को भोपाल रेफर किया गया है। यह बस गुना से आरोन की ओर जा रही थी, तभी सामने से आ रहे एक डंपर से बस की टक्कर हो गई। टक्कर लगते ही बस पलट गई और उसमें आग लग गई। गणेश गिरि : भाई से कहा था, सैंडल नहीं ला पाया
गुना में पैथोलॉजी पर काम करने वाले गणेश गिरि भी मिसिंग हैं। वे आरोन से गुना रोजाना अप-डाउन करते थे। सुबह 9 बजे गुना के लिए निकलते। रात 9:30 तक वापस आते थे। घटना वाले दिन उनकी बात छोटे भाई आयुष गिरि से हुई। आयुष ने बताया कि 7:13 मिनट पर भाई का कॉल आया। बोले- तेरे लिए सैंडल आज नहीं ला पाया, कल ले आऊंगा। हाथ में सुनहरे कलर का कड़ा पहने हुए आयुष ने बताया कि यह बड़े भाई की निशानी है। वह हमेशा इसे पहनकर रखेंगे। गणेश के पिता प्रकाश गिरि गणेश का कमरा दिखाने ले गए। कमरे में एक पलंग था। दीवार पर दो फोटो लगे हैं। एक में परिवार के कई फोटोज के साथ मिलाकर बनाया गया कोलाज है। वहीं, दूसरा गणेश का पोट्रेट है। एक गेट के पीछे ब्लेजर टंगा है। पिता कहते हैं कि गणेश ने ही मकान बनवाया है। 13 लोगों के बीच वह अकेला कमाने वाला था।
उन्होंने रोते हुए बताया कि 16 फरवरी को बेटे की शादी होनी थी। तैयारियां की जा रही थीं। पीली चिट्ठी भी आ गई थी।
इसी बीच गणेश के दादाजी भी आ जाते हैं। रोते हुए कहते हैं कि मेरा मकान गिर गया है। मैंने कहा कि बेटा पैसे नहीं हैं। वो बोला था कि आप तो बनवाओ, पैसे की चिंता मत करो। अब तो बस शव का इंतजार है। शव आ जाए तो तसल्ली हो जाए। उसकी मां बेसुध है। रोज ग्लूकोज चढ़ाया जा रहा है।
आरोन में बरोद गांव से दो लोग मिसिंग
आरोन इलाके के बरोद गांव के दो लोग महेंद्र यादव और बलवंत ओझा मिसिंग हैं। सुबह करीब 11 जब गांव में पहुंचे, तो चबूतरे पर दो लोग बैठे दिखे। दोनों से महेंद्र और बलवंत के घर के बारे में पूछा, तो वह दोनों ही संयोग से उनके परिवार वाले ही निकले। पहले महेंद्र का भतीजा महेंद्र के घर ले गया। वहां कुछ महिलाएं बैठी थीं। कुछ बच्चे वहीं खड़े थे। परिवार वालों ने आशंका जताई है कि ये दोनों उसी बस में थे। महेंद्र यादव खेती करते थे। तीन बच्चे हैं। एक लड़का और दो लड़की। मां और एक भाई साथ रहते हैं। एक भाई पास के ही दूसरे मकान में रहते हैं। घटना वाले दिन महेंद्र गांव के ही युवक से साथ गुना आए थे। शाम 5 बजे वह गुना आए। यहां पटवारी से मिलना था। शाम 8 बजे वह बस में बैठे। 8:24 बजे बेटी राधा से बात हुई। कहा- बेटा खाना बना लेना। मैं कुछ देर में आ रहा हूं। महेंद्र की पहचान के लिए पुलिस ने बेटी वर्षा और बेटे धर्मवीर के सैंपल लिए हैं।
महेंद्र के घर के आंगन में उनकी भाभी सरजू बाई बैठी मिलीं। सरजूबाई ने बताया कि महेंद्र का शव आने का इंतजार कर रहे हैं। सूतक लग गया है। घर में चूल्हा तक नहीं जला रहे। पड़ोसी ही खाना दे रहे हैं। घर की साफ-सफाई नहीं हो रही है। झाड़ू भी नहीं लगा रहे हैं। शव आ जाए, उसी के बाद आगे के कार्यक्रम करेंगे।
बलवंत : माता-पिता को नहीं बेटे की मौत की जानकारी
महेंद्र के घर से 100 मीटर दूर बलवंत ओझा का घर है। उनके चाचा श्याम ओझा से मुलाकात हुई। बलवंत अपने माता-पिता के साथ ही रहते हैं। उनके चाचा ने बताया कि अभी बलवंत के माता-पिता को मौत की जानकारी नहीं है। उन्हें बताया गया है कि भोपाल में भर्ती है, इसलिए उनके घर जा कर बात श्याम ओझा ने बताया कि बलवंत की शादी नहीं हुई है। 2-3 बीघा जमीन है। बलवंत मजदूरी भी करता था। लकड़ी का काम भी कर लेता था। वह भी महेंद्र के साथ पटवारी आए मिलने गुना गया था। आते वक्त फोन बंद हो गया था, तो उससे बात नहीं हो पाती थी। शव मिल जाए, उसके बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया करेंगे। बरोद गांव से निकलकर टीम आरोन पहुंची। यहां वकील के बाड़े में रहने वाली संगीता (21) भी मिसिंग है। वह परिवार की चार अन्य महिलाओं के साथ उसी बस से लौट रही थी। बाकी चार महिलाएं जिला अस्पताल में भर्ती हैं। संगीता ने पिछले साल 12वीं पास की थी। परिवार की आर्थिक तंगी और पैसे नहीं होने के कारण कॉलेज का फॉर्म तक नहीं भर पाई।
तीन साल पहले उसके पिता रामकृष्ण का निधन हो चुका है। 10 दिन पहले संगीता इंदौर में रहने वाले अपने चाचा के यहां गई थी। पिछले गुरुवार को ही लौटी थी। शुक्रवार को परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसे भी पड़ोसी के साथ जमीन विवाद में हुई मारपीट के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। घटना वाले दिन परिवार की चार महिलाओं के साथ उसकी भी जमानत हुई।
जेल में मिली घटना की जानकारी
संगीता के चाचा संजय ओझा ने बताया कि परिवार के 11 लोग जेल में थे। घटना वाले दिन पांच महिलाओं की जमानत हुई। बाकी 6 पुरुष सदस्य जेल में ही हैं। संगीता बस से आरोन के लिए निकली थी, लेकिन रास्ते मे घटना हो गई। संगीता का कुछ पता नहीं चल सका है। अगली सुबह पुरुष सदस्यों को जेल में ही घटना की जानकारी मिली। शुक्रवार को उनकी भी जमानत हो गई। आरोन के बरबटपुरा में रहने वाले अर्जुन गिरि के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी, छोटा बेटा। वह किसी प्राइवेट कंपनी में सेल्स जॉब करते थे। बेटी नानी के यहां गुना में रहकर पढ़ाई करती है। घटना वाले दिन वह अपनी पत्नी को उसके मायके छोड़ने गुना गए थे। पत्नी के भाई ने उन्हें बस में बिठाया। 7:53 बजे बेटे योगेश से बात हुई। बोले- बेटा मैं आ रहा हूं। खाना बना लेना।
परिवार को घटना के बारे में कैसे पता चला, इस बारे में उनके साले सचिन गिरि ने बताया कि उन्होंने ही जीजाजी को बस में बिठाया। रात को उनके वॉट्सएप पर कई ग्रुप्स में बस दुर्घटना के मैसेज आए। सचिन ने घबराकर आरोन में योगेश को फोन कर पूछा- पापा आ गए या नहीं, तो उसने बताया कि अब तक नहीं आए। इसके बाद सचिन भागे-भागे अस्पताल पहुंचे। वहां जीजाजी को काफी खोजा, लेकिन पता नहीं चला। इसके बाद पुलिस को बताया।
आरोपियों पर ये धाराएं लगीं, इनमें ये प्रावधान
हादसे पर बजरंगगढ़ थाना पुलिस ने अपराध क्रमांक 267/2023 पर तीन आरोपियों के विरुद्ध FIR दर्ज की है। पहला आरोपी डंपर क्रमांक एमपी 08एचए0443 का ड्राइवर, दूसरा आरोपी बस क्रमांक एमपी 08पी0199 का चालक और तीसरा आरोपी बस मालिक भानु प्रताप सिंह सिकरवार को बनाया गया है। FIR में डंपर चालक और बस चालक के नाम नहीं लिखे हैं। आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता
1860 की धारा 279, 304, 308 तथा मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 66, 192a, 56, 192 में दर्ज की गई है। दोषी पाए जाने पर सजा के क्या प्रावधान
धारा 279: सार्वजनिक मार्ग पर जल्दबाजी से गाड़ी चलाना या सवारी करना। दोषी पाए जाने पर अधिकतम 6 महीने की ही कैद।
धारा 304 : गैर इरादातन हत्या। इस धारा के दो पार्ट हैं। दुर्घटना में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होने पर आरोपी के विरुद्ध 304ए लगेगी। इसमें अधिकतम दो साल तक की कैद या/और जुर्माने का प्रावधान है। धारा 304बी दहेज हत्या के अपराध में लगाई जाती है।
धारा 308 : सदोष हत्या का प्रयास। 3 साल कैद और जुर्माने का प्रावधान। यदि किसी भी व्यक्ति को चोट लगती है, तो अधिकतम 7 साल की कैद या/और जुर्माने की सजा का प्रावधान। "अर्नेश कुमार विरुद्ध बिहार राज्य" के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के बाद 7 साल तक की सजा के अपराध में पुलिस आरोपी की सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती, लेकिन इसमें भी कार्रवाई परिस्थितियों पर निर्भर करती है। अगर पुलिस को लगे कि आरोपी भाग जाएगा, गवाहों को प्रभावित करेगा या उसका पहले से आपराधिक रिकॉर्ड हो, तो आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
धारा 66 व धारा 192ए मोटरयान अधिनियमः 1988 धारा
66 के अनुसार मोटर वाहन के स्वामी को सार्वजनिक स्थान में परिवहन वाहन के उपयोग के लिए शर्तों के अनुसार परमिट लेना होगा। धारा 66 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर धारा 192ए के तहत वर्णित 2 से 5 हजार रुपए का जुर्माना किया जा सकेगा। अपराध दोहराने पर एक साल कैद और 10 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान।
धारा 56 व धारा 192 मोटरयान अधिनियम 1988 : धारा 56 में परिवहन वाहनों के फिटनेस प्रमाण पत्र के प्रावधानों का लेख है। धारा 192 में बिना पंजीकृत वाहन संचालन पर अधिकतम 5 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। अपराध दोहराने पर एक साल कैद और 10 हजार रुपए तक जुर्माना लगेगा।
बस मालिक पर चलेगा केस
कानून के जानकारों का कहना है कि सड़क दुर्घटना के
मामलों में धारा 279, 304 या 308 का एकमात्र आरोपी
दुर्घटना के वक्त वाहन चला रहा व्यक्ति होता है। पुलिस के
मुताबिक, दोनों वाहन के चालकों की इस भीषण दुर्घटना में
ऑन स्पॉट मौत हो गई। ऐसे में एक आरोपी बस मालिक भानु
प्रताप सिंह सिकरवार पर ही एफआईआर में वर्णित मोटरयान
अधिनियम की धाराओं में केस चलेगा। इन धाराओं में महज
2 से 5 हजार रुपए जुर्माने का ही प्रावधान है।
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