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सरकार को बदनाम करने का कोई भी तरीका नहीं छोड़ रहे खननकर्ता, बढ़ते परमिट के रेट को लेकर शाश्वत मंच ने किया विरोध प्रदर्शन

  सरकार को बदनाम करने का कोई भी तरीका नहीं छोड़ रहे खननकर्ता, बढ़ते परमिट के रेट को लेकर शाश्वत मंच ने किया विरोध प्रदर्शन रिपोर्टिंग कामेश्वर...

 



सरकार को बदनाम करने का कोई भी तरीका नहीं छोड़ रहे खननकर्ता, बढ़ते परमिट के रेट को लेकर शाश्वत मंच ने किया विरोध प्रदर्शन

रिपोर्टिंग कामेश्वर विश्वकर्मा 

ओबरा सोनभद्र 

शनिवार को शाश्वत मंच के कार्यकर्ताओं ने  ओबरा शारदा मंदिर चौराहे पर खनन अधिकारी का पुतला फूंक कर बढ़ते परमिट के रेट पर नाराजगी जाहिर की। मंच के संयोजक श्याम जी मिश्रा ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा जारी किए गए परमिट के रेट से कही ज्यादा रेट पर खनन अधिकारी की सह बेचा जा रहा है। एक तरफ खननकर्ता मोटी कमाई कर रहे तो दूसरी तरफ राज्य सरकार के आंखों में धूल झोंक रहे है। परमिट की रेट की वजह से आम जनता अपना मकान बनाने का सपना पूरा करने में लाचार साबित हो रहा है। सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिए जा रहे आवास राशि में परमिट के रेट बढ़ने की वजह से धक्का लगा है। मकान बनाने के लिए मेटेरियल पहले से ही महंगे हो गए है ऊपर से परमिट के रेट ने गरीबों का सपना महंगा कर दिया है। 

श्याम जी मिश्रा ने कहा कि जनता तो यही समझती है कि सरकार द्वारा परमिट का रेट जो जारी किया जाता है उसी रेट में खननकर्ता परमिट देते है गिट्टी खरीदारी के समय। उनको क्या पता साठगांठ से परमिट को उच्चे रेट पर बेचा रहा है। इस तरह मुख्यमंत्री योगी को बदनाम किया जा रहा है। श्याम जी मिश्रा ने कहा लगभग एक महीने पहले खनन निदेशक माला श्रीवास्तव से शिकायत की गई थी। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा था कि इस विषय पर जांच की जाएगी और जो दोषी पाए जाएंगे ऐसे लोगों पर एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अभी तक सरकार को बदनाम करने वालों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। यह सब खान अधिकारी के इशारे पर हो रहा। बकौल संयोजक ने दो टूक कहा कि, एक सप्ताह के अंदर परमिट की कालाबाजारी बंद नहीं हुई तो खनन निदेशक कार्यालय के सामने धरना दिया जायेगा। दरसल गिट्टी खरीदने को दौरन परमिट दिया जाता है। जिससे यह साबित होता कि उक्त क्रेसर से गिट्टी खरीदी गई है। जिसे बोल्डर भंडारण का लाइसेंस मिला हुआ है। लेकिन यहां दो बातें समझने की ज़रूरत है किस तरह से सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। सूत्र बताते है कि जो परमिट नियमतः 400 रुपये घन मीटर बिकना चाहिए वो परमिट साठगांठ से 1200 से लेकर 1300-1350 रुपये में बेची जा रही है। अगर किसी को 16 चक्के से गिट्टी परिवहन करना है तो उसे पहले गिट्टी खरीदनी होगी उस गिट्टी के परिवहन के लिये परमिट खरीदना होगा और गिट्टी ढुलाई के लिए भाड़ा देना होगा। मान लिया जाये कि वाराणसी मंडी में गिट्टी बेचनी है उसके लिए आपको कम से कम 74 हज़ार रुपये की मोटी राशि खर्च करनी होगी। बिल्ली-डाला खनन क्षेत्र में 750 फ़ीट गिट्टी 20250 से लेकर 21 हज़ार की होगी और उससे कही ज्यादा 26 से 27 हज़ार तक कि परमिट के लिए खर्च करना पड़ेगा और भाड़ा 20 से लेकर 22 हज़ार तक वहन करना होगा।

दूसरी बात यह है कि एक क्रेसर को 3 हज़ार स्क्वायर फ़ीट का भंडारण मिलता है लेकिन वो क्षमता से ज्यादा 15 हज़ार स्क्वायर फ़ीट तक का भंडारण कर लेता है। उसी भंडारण को खपाने के लिए अवैध तरीके से परमिट का खेल चालू होता है जो तय रेट से कही ज्यादा बिकता है। जिससे खनन क्षेत्र में एक दूसरे के संपर्क में रहने से सभी सरकार से इतर मोती कमाई करके राज्य सरकार को करोड़ो रुपये के राजस्व का चूना लगा रहे। परमिट को लेकर कुछ दिनों पहले भी अपना दल (यस) सोनभद्र के जिला महासचिव शिब्बू शेख के नेतृत्व में  लखनऊ में खनन निदेशक माला श्रीवास्तव को पत्र सौपा और उन्हें अवगत कराया कि ओबरा के ग्रामपंचायत बिल्ली मारकुंडी स्थित एक खदान में कई करोड़ की परमिट अवैध तरीके से बेच दी गई। जो कि सरासर गलत।

खनन से संबंधित लोग बताते है कि परमिट की रेट के साथ-साथ खनन क्षेत्र के कई व्यवसायियों की संपत्ति की जांच भी होनी चाहिए।

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