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वन अधिकारियों की ओर से काटा गया लिप्तस पेड़ जलौनी लकड़ी कहकर दिया गया मज़दूरी

 वन अधिकारियों की ओर से काटा गया लिप्तस पेड़ जलौनी लकड़ी कहकर दिया गया मज़दूरी  सवाल यह है कि जब जिम्मेदारी अधिकारी व वनकर्मियों की मिलीभगत ...

 वन अधिकारियों की ओर से काटा गया लिप्तस पेड़ जलौनी लकड़ी कहकर दिया गया मज़दूरी 

सवाल यह है कि जब जिम्मेदारी अधिकारी व वनकर्मियों की मिलीभगत से ही वन विभाग कैंपस में गिरें पेड़  वन कानून की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे 

रिपोर्टिंग कामेश्वर विश्वकर्मा






चोपन-सोनभद्र/प्रभागीय वन क्षेत्र ओबरा के अंतर्गत आने वाले डाला वन विभाग के अधिकारी अपना मनमाना रवैया अपनाकर वन कानून की धज्जियां उड़ाने से बाज नहीं आ रहे। बताते चले कि चोपन नगर स्थित डाला वन रेंज की ऑफिस और रेंज से संबंधित कर्मचारियों का आवास है। दो दिन पहले आये आंधी ने वन रेंज के कैम्पस में जमकर तांडव मचाया। जिस वजह से कैम्पस में लगे लिप्तस के कुछ पेड़ गिर गए। पेड़ गिरने पर मौजूद कर्मचारियों को जैसे अवसर मिल गया। तुरन्त मौका न गवांते हुए पेड़ की कीमत लगाकर बेच दी गई। जब गिरे पेड़ को काटने कुछ मज़दूर पहुंचे ही थे कि इसकी जानकारी कैम्पस से बाहर चली गई। जिस वजह से गुरुवार को पेड़ को ठिकाने लगाने की कवायद धराशायी हो गई। जैसे तैसे मामला गुरुवार को शांत हुआ लेकिन जब मन में हो चोरी ऊपर से करते हो चौकीदारी तो कहा मन माने। शुक्रवार को फिर से दोबारा 10 मज़दूर बुलाये गए बड़ी बड़ी औजारों का प्रयोग करके पेड़ के छोटे छोटे टुकड़े कर दिये गए और मज़दूरों से ही कृषि कार्य में लाई जाने वाले ट्रेक्टर पर लादकर रॉबर्ट्सगंज मंडी बेच देने के मकसद से भेज दी गई। इस बात की जानकारी जब वन रेंज के उच्च अधिकारियों से जाननी चाही गई तो उन्होंने टाइट भाषा का प्रयोग करते हुए कहा कि फालतू की बातों को तूल पकड़ाया जा रहा है। रही बात पेड काट कर बेचने की तो मज़दूरों को भुगतना देने के लिए पेड की जलावन लकड़ी को ही बेचा गया है। घर और दीवाल पर गिरी पेड को हटाना भी बहुत ज़रूरी था। क्योंकि उससे आनेजाने वालों को समस्या हो रही थी। 10 मज़दूरों को 4 हज़ार रुपये का भुगतान कहा से आएगा इसलिए जलवान लकड़ी बेची गई है। अब समझने वाली बात है की जिस वन विभाग को वातावरण और हरियाली बनाने का जिम्मा दिया गया हो उसी वन विभाग के अधिकारियों द्वारा भ्रामक बात बताई जा रही है। कोई भी 5 लिप्तस की पेड का आसानी से कीमत लगा सकता है। क्या कोई ये मान लेगा की 5 लिप्तस की पेड़ की कीमत सिर्फ 10 से 15 हज़ार रुपये ही होगी। खबरों की माने तो पेड़ को काटने से लेकर ठिकाने लगाने तक में एक संबंधित कर्मचारी, दलाल और खरीददार की भूमिका बताई जा रही है। शुक्रवार को जब दूसरे कर्मचारी को इसकी भनक लगी तब मामले ने टूल पकड़ा। हालांकि अपने ऊपर लगे दाग पर सफाई देकर विभागीय अधिकारी पल्ला झाड़ ले रहे।

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