जिला पंचायत सीईओ ने हटाए 2 रोजगार सहायक, सहरिया क्रांति के बैनर तले परेशान आदिवासियों ने किया था प्रदर्शन शिवपुरी। आज जिला मुख्यालय पर सहर...
जिला पंचायत सीईओ ने हटाए 2 रोजगार सहायक, सहरिया क्रांति के बैनर तले परेशान आदिवासियों ने किया था प्रदर्शन
शिवपुरी। आज जिला मुख्यालय पर सहरिया क्रांति के बैनर तले सैकड़ों आदिवासी समाज के लोगों ने अपनी जायज मांगों को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय पर ज्ञापन सौंपने के बाद जिला पंचायत कार्यालय पर 7 घंटे तक धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में आदिवासी समाज के सदस्य अपनी समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने अपनी जायज मांगों को लेकर नारेबाजी की और अंततः प्रशासन से आश्वासन प्राप्त करने के बाद धरना समाप्त किया।
जिला कलेक्टर श्री रवीन्द्र चौधरी ने सहरिया क्रांति प्रतिनिधियों से मुलाकात की और समस्याओं से जुड़ी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया। इसके अलावा जिला पंचायत सीईओ श्री हिमांशु जैन ने आदिवासियों द्वारा प्रस्तुत शिकायतों को गंभीरता से लिया और कोलारस के सुनाज गाँव के रोजगार सहायक श्री धनपाल यादव तथा करेरा के डबरा दिनारा के रोजगार सहायक श्री धर्मेन्द्र यादव को उनके पदों से हटाने के आदेश दिए। इस पर आदिवासियों ने तालियाँ बजाकर खुशी जताई और अपना प्रदर्शन समाप्त किया।
सहरिया क्रांति के संयोजक श्री संजय बेचैन ने प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष आदिवासी समुदाय की समस्याओं को विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ पाने में लगातार परेशान हो रहे हैं और यह स्थिति प्रशासन की अनदेखी का परिणाम है। संजय बेचैन ने कहा, "यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक आदिवासी समाज के अधिकारों की पूरी सुरक्षा नहीं होती।"
आदिवासियों की समस्याएँ
आज के प्रदर्शन में आदिवासियों ने कई गंभीर समस्याओं को प्रशासन के सामने रखा, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदु थे:
जनमन आवास योजना: ग्राम पंचायत गुरिक्षा के अंतर्गत गाँव देवपुर के आदिवासी परिवारों की झोपड़ियाँ तोड़ दी गईं थीं, यह कहकर कि उन्हें जनमन आवास योजना के तहत आवास मिलेंगे। हालांकि, योजना के तहत उन्हें पहली किस्त तो प्राप्त हुई, लेकिन दूसरी किस्त अब तक नहीं मिली है। इस कारण उनका जीवन अत्यंत कठिन हो गया है और वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
रिश्वतखोरी: ग्राम पंचायत डबरा दिनारा के आदिवासी समुदाय ने आरोप लगाया कि पंचायत सचिव और सहायक सचिव उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के नाम पर रिश्वत मांगते हैं। कई पात्र हितग्राही जिनका नाम कुटीर आवंटन योजना में था, वे आज भी इससे वंचित हैं। आदिवासी समाज के लोग कह रहे हैं कि पिछले दो वर्षों से कई परिवारों को संबल योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। साथ ही, विधवा पेंशन के लाभार्थियों को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। पंचायत का सहायक सचिव हर काम मे रिश्वत की माँग करता है ।
गुंडों का आतंक – ठकुरपुरा की आदिवासी महिलाओं के साथ उनके झोंपड़े खाली कराने के नाम पर असमाजिक तत्वों द्व्रारा घरों में घुसकर उनके साथ अश्लील हरकतें करने वालों पर कार्यवाही न करने पर जिला कलेक्टर को गुंडा तत्वों पर कार्यवाही हेतु कहा
वृद्धावस्था पेंशन और पोषाहार:पोहरी के गाँव गुरिच्छा के देवपुर , करेरा के डबरा दिनारा , कोलारस के मझारी में कई वृद्धजन वृद्धावस्था पेंशन से वंचित हैं। इसके अलावा कई महिलाओं को पोषाहार की राशि भी नहीं मिली है।
भ्रष्टाचार के आरोप: पंचायत में चल रही योजनाओं पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। आदिवासियों का कहना था कि कई योजनाएँ कागजों पर ही चल रही हैं और जिन कार्यों का लाभ आदिवासी समुदाय को मिलना चाहिए था, वे भ्रष्टाचार के कारण उन तक नहीं पहुँच पाए हैं।
साथ ही, ग्राम पंचायत सुनाज के आदिवासी समुदाय ने पंचायत सचिव धनपाल यादव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उनके अनुसार, श्री यादव ने कई आदिवासी परिवारों से रिश्वत की मांग की और जनमन आवास योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया। आदिवासियों का आरोप है कि उन्होंने प्रत्येक कुटीर की राशि से पैसे काटे और जो लोग पैसे नहीं देते थे, उन्हें धमकी दी जाती थी कि उनका काम नहीं किया जाएगा। आदिवासी समुदाय ने प्रशासन से निम्नलिखित मांगें की: पंचायत सचिव धनपाल यादव को तत्काल दूसरी पंचायत में स्थानांतरित किया जाए।, पंचायत में पिछले 5 वर्षों में हुए सभी निर्माण और विकास कार्यों की निष्पक्ष जांच की जाए।
धरना प्रदर्शन में सहरिया क्रांति के प्रमुख सदस्य जैसे औतार भाई सहरिया, भ्दोरिया आदिवासी, संजू आदिवासी, स्वदेश आदिवासी, रमस्वरूप आदिवासी, नंदा आदिवासी, और कल्लू आदिवासी भी उपस्थित थे। इन सभी ने एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठाई और आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। आज के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि आदिवासी समाज अब अपनी समस्याओं के समाधान के लिए चुप नहीं रहेगा और प्रशासन से हर हाल में न्याय की उम्मीद रखेगा।
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