Page Nav

HIDE

Breaking News:

latest

Total Pageviews

जिला पंचायत सीईओ के आदेशों की अनदेखी: एडवांस कान्वेंट स्कूल भौंरा की दयनीय स्थिति बनी चिंता का विषय

 ** जिला पंचायत सीईओ के आदेशों की अनदेखी: एडवांस कान्वेंट स्कूल भौंरा की दयनीय स्थिति बनी चिंता का विषय**   **आरटीई एक्ट 2009 के उल्लंघन पर ...

 **जिला पंचायत सीईओ के आदेशों की अनदेखी: एडवांस कान्वेंट स्कूल भौंरा की दयनीय स्थिति बनी चिंता का विषय**  


**आरटीई एक्ट 2009 के उल्लंघन पर सवाल**  

गुना / शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के तहत प्रत्येक विद्यालय को शिक्षा के मूलभूत मानकों का पालन करना अनिवार्य है। लेकिन भौंरा (मुहाल कॉलोनी) स्थित एडवांस कान्वेंट स्कूल इस कानून के विपरीत कार्य करता दिखाई दे रहा है। इस विद्यालय की वर्तमान स्थिति शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जिला पंचायत सीईओ द्वारा सख्त आदेश और स्पष्ट निर्देशों के बावजूद विद्यालय प्रशासन ने अपने बुनियादी ढांचे और शिक्षण पद्धति में आवश्यक सुधार नहीं किए हैं।  




पिछले महीने जिला पंचायत सीईओ ने आरटीई एक्ट के तहत मान्यता नवीनीकरण प्रक्रिया में सख्ती बरतने के निर्देश दिए थे। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए विकासखंड स्रोत समन्वयकों और जिला परियोजना समन्वयकों को जिम्मेदारी सौंपी थी कि निजी विद्यालय आरटीई के प्रावधानों का पालन करें। आदेशों के तहत जिन विद्यालयों की स्थिति दयनीय पाई गई, उनमें सुधार कार्य शुरू हुआ, लेकिन एडवांस कान्वेंट स्कूल अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है।  


### **स्कूल की वर्तमान स्थिति**  

एडवांस कान्वेंट स्कूल का संचालन एक आवासीय भवन में किया जा रहा है, जिसकी संरचना आरटीई एक्ट 2009 की धारा 19 और 25 के मानकों के अनुरूप नहीं है। स्कूल भवन में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जैसे:  

- पर्याप्त कक्षाओं की अनुपलब्धता।  

- सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल और शौचालय सुविधाएं।  

- खेलकूद और अन्य सह-शैक्षिक गतिविधियों के लिए मैदान की कमी।  

- भवन की संरचना जर्जर और खतरनाक है, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।  


आरटीई एक्ट की धारा 19 यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक विद्यालय के पास उपयुक्त बुनियादी ढांचा हो। इसमें कक्षाओं का न्यूनतम आकार, पुस्तकालय, और खेलकूद के लिए स्थान जैसी आवश्यकताएं शामिल हैं। धारा 25 के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात का पालन करना अनिवार्य है, लेकिन इस विद्यालय में शिक्षकों की संख्या न केवल अपर्याप्त है, बल्कि योग्य शिक्षकों की भी कमी है।  


### **जिला प्रशासन की निष्क्रियता या विद्यालय प्रशासन की जिद?**  

दस्तावेज़ों के मुताबिक, जिला पंचायत सीईओ के आदेशों में यह स्पष्ट था कि जो भी विद्यालय आरटीई के मानकों का पालन नहीं करेंगे, उनकी मान्यता रद्द की जाएगी। बावजूद इसके, एडवांस कान्वेंट स्कूल पर किसी ठोस कार्रवाई का न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है।  


विद्यालय प्रबंधन ने न केवल जिला पंचायत के निर्देशों की अनदेखी की है, बल्कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने का भी आरोप लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।  


### **आरटीई एक्ट के प्रावधान और उनका पालन**  

आरटीई एक्ट 2009 का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। इसके तहत विद्यालयों को निम्नलिखित मानकों का पालन करना अनिवार्य है:  

1. **बुनियादी सुविधाएं:** सुरक्षित भवन, पेयजल, शौचालय और खेल का मैदान।  

2. **शिक्षक-छात्र अनुपात:** प्राथमिक स्तर पर एक शिक्षक पर अधिकतम 30 छात्र और उच्च प्राथमिक स्तर पर एक शिक्षक पर 35 छात्र।  

3. **शिक्षा का स्तर:** शिक्षक योग्यता, शिक्षण सामग्री और पाठ्यक्रम में सामंजस्य।  


एडवांस कान्वेंट स्कूल में इन सभी मानकों का घोर उल्लंघन हो रहा है। विद्यालय की जर्जर स्थिति न केवल बच्चों की शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।  



### **शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी**  

शिक्षा विभाग और जिला पंचायत के अधिकारियों को चाहिए कि वे इस मामले को गंभीरता से लें। आदेश जारी करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी क्रियान्विति पर भी निगरानी जरूरी है। यदि एडवांस कान्वेंट स्कूल मानकों का पालन करने में असमर्थ है, तो उसकी मान्यता रद्द की जानी चाहिए। इसके साथ ही, बच्चों को वैकल्पिक विद्यालयों में स्थानांतरित करने का प्रबंध किया जाना चाहिए।  


### **क्या कहता है भविष्य?**  

इस पूरे प्रकरण ने जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। यदि समय पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह शिक्षा के अधिकार कानून की सार्थकता पर प्रहार होगा। प्रशासन को चाहिए कि वह विद्यालय प्रबंधन को सुधार के लिए अंतिम चेतावनी दे और यदि स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो सख्त कदम उठाए।  


### **निष्कर्ष**  

एडवांस कान्वेंट स्कूल की दयनीय स्थिति केवल एक विद्यालय का मामला नहीं है; यह हमारे शिक्षा तंत्र में व्याप्त खामियों को उजागर करता है। जिला पंचायत सीईओ के आदेशों के बावजूद यदि सुधार नहीं हो रहा है, तो यह न केवल प्रशासनिक उदासीनता का मामला है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है। शिक्षा विभाग, जिला पंचायत और विद्यालय प्रशासन को मिलकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए, ताकि बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार मिल सके।

No comments

Contact Form

Name

Email *

Message *

Latest Articles