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कौन है ये धीरेन्द्र शास्त्री, जनता जाने ?

  कौन है ये धीरेन्द्र शास्त्री, जनता जाने ? ************************************ ग्वालियर / बुंदेलखंड के बागेश्वर को अचानक धाम बना देने वाला...

 कौन है ये धीरेन्द्र शास्त्री, जनता जाने ?

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ग्वालियर / बुंदेलखंड के बागेश्वर को अचानक धाम बना देने वाला ये धीरेन्द्र शास्त्री कौन है ? 29  साल के इस बड़बोले लड़के के पास न कोई तजुर्बा है ,ये न कोई शंकराचार्य है ,न कोई महामंडलेश्वर है ,लेकिन इसे राजा से लेकर रंक तक न सिर्फ भाव दे रहे हैं बल्कि ये किसी न किसी तरह सुर्ख़ियों में है।  बागेश्वर के बाहर भी और बागेश्वर में भी।  बुंदेलखंड ऐसी प्रतिभाओं को समय-समय पर पैदा करता रहता है।  मप्र कांग्रेस ने  धीरेन्द्द्र शास्त्री को ' उचक्का' कह कर एक बार और सुर्ख़ियों में  आने का मौक़ा दे दिया है। 

जाती तौर पर मुझे कांग्रेस द्वारा बालक धीरेन्द्र शास्त्री के बारे में की गयी टिप्पणी पर कुछ नहीं कहना,क्योंकि -'ये पब्लिक  है ,ये सब जानती है ',लेकिन जान-बूझकर अनजान भी रहती है।  बागेश्वर को धाम बनाकर उसके स्वयम्भू पीठाधीश्वर बने 29  साल के बालक धीरेन्द्र गर्ग को शास्त्री बनाया स्वामी रामभद्राचार्य ने। उन पर लोगों को बरगलाने के लिए मानसिकता का इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं। वे लोगों को बरगलाते   भी है।  धीरेन्द्र शास्त्री हैं,संत हैं ,कथावाचक हैं,समाज सुधारक हैं या विदूषक हैं ? ये तय करना बड़ा कठिन है क्योंकि उनका चरित्र गड्डमगड्ड है। लेकिन एक बात सच है कि वे लगातार कुछ समय से सुर्ख़ियों में हैं। 

धीरेन्द्र की वाक्पटुता और वो भी बुंदेली तड़के वाली लोगों को चमत्कृत करती है।  कोई 40  साल पहले इसी बुंदेलखंड के गर्भ से एक बालिका उमा भारती के नाम से प्रकट हुई थी जो अपनी प्रतिभा के बूते कथा बांचते-बांचते पहले लोकसभा में पहुंची और बाद में 9  महीने के लिए मप्र की मुख्य मंत्री भी बनी । केंद्र में भी मंत्री बनी। उमा भारती न शास्त्री बनीं और न उनका कोई धाम था लेकिन राजनीति में उनका एक मुकाम जरूर रहा।  मुझे लगता है कि  धीरेन्द्र शास्त्री का सपना  भी उमा भारती की राह पर आगे बढ़ने का है। नए जमाने के इस छोकरे ने पहले सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर यूट्यूब से प्लेटिनम प्लेट हासिल की और बाद में अपनी विचित्र छवि बनाकर भीड़ को ऐसा सम्मोहित किया कि  राजनीति के महापंडित तक उसकी शरण में आ गए। 

धीरेन्द्र शास्त्री को हनुमान जी ऐसे फल या कहिये सिद्ध हुए कि  अब वे बागेश्वर में एक कैंसर अस्पताल बनवाने का रहे हैं और प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी 23  फरवरी को स्वयं बागेश्वर आ रहे हैं। कैंसर अस्पताल बनाने के संकल्प   से एक बात तो साबित हो गयी कि  धीरेन्द्र के पास कोई गुप्त विद्या नहीं है जो बीमारों को ठीक कर सके ।  उसे भी विज्ञान का सहारा लेना पड़ रहा है।  शास्त्री जानता है कि  कैंसर हनुमान जी के नाम से छू-छकार   करके ठीक नहीं किया जा सकता ।  इसके लिए डाक्टर चाहिए । कीमो थैरेपी चाहिए ,सर्जरी चाहिए। बागेश्वर के हनुमान मंदिर के बाद कैंसर अस्पताल जनसेवा और मेवा हासिल करने का नया साधन बनाने वाले धीरेन्द्र को ' उचक्का ' कहकर कांग्रेस ने और महिमामंडित कर दिया है। मुझे लगता है की गीतकार रविंद्र रावल ने ही धीरेन्द्र शास्त्री कि लिए ये लिख दिया था कि 

 ' कभी तू छलिया लगता है 

कभी दीवाना लगता है 

कभी अनाडी लगता है

 कभी आवारा लगता है '

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कभी तू जुगनु लगता है 

कभी तू जंगली लगता है 

कभी फंटूश लगता है 

कभी आजाद लगता है

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कभी तू लीडर लगता है

 कभी तू लोफर लगता है 

कभी तू हीरो लगता है 

कभी तू जोकर लगता है

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धीरेन्द्र के बारे में कांग्रेसी एक राय नहीं हैं ,क्योंकि बुंदेलखंड के ही एक कांग्रेसी नेता जो पूर्व मंत्री  भी हैं यानि मुकेश नायक कहते हैं कि  धीरेन्द्र उचक्का नहीं बल्कि एक सेलेब्रिटी जरूर है।  सेलब्रिटी का मतलब जो सेलेबल हो यानि बाजार में जिसकी डिमांड हो। धीरेन्द्र की डिमांड है क्योंकि वो भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे  का नया पोस्टर बॉय है। धीरेन्द्र ने हिंदुत्व केलिए पदयात्राएं निकालीं ,सार्वजनिक मंचों पर भाजपा नेताओं की तरह हिंदुत्व की गागरोनी गाई और तो और मुसलमानों को निशाने   पर रखा।  धीरेन्द्र बाकायदा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त भगवाधारी अभिनेता है।  मध्य प्रदेश के पूर्व हों या वर्तमान कांग्रेस के हों या भाजपा के मुख्यमंत्री,मंत्री धीरेन्द्र के सामने नतमस्तक हो चुके हैं। सभी को धीरेन्द्र  की जरूरत है। अब प्रधानमंत्री भी धीरेन्द्र के धाम में आकर उसे भाजपा -भक्त   होने का प्रमाणपत्र देने आ रहे हैं।प्रधानमंत्री इससे पहले भी उत्तर प्रदेशमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये एक और संत प्रमोद कृष्णन के यहां जा चुके हैं।  

मुश्किल ये है कि आजतक धीरेन्द्र की सही शिनाख्त नहीं हो पायी है।  कोई उसे छलिया कहता है तो कोई उसे संत  कहता है। कांग्रेस ने तो उसे उचक्का और सेलेब्रिटी कह दिया। अल्प समय में धीरेन्द्र विदेश यात्रायें भी कर आया ।  उसे अडानी ने भी अपने बेटे की शादी में बुलाकर शंकराचार्यों जैसा मान दे दिया और बाकी के लोग भी ऐसा ही कर रहे हैं ,यानि धीरेन्द्र में कुछ तो है ,जो उसका बाजार भाव बना  हुआ है।  गिरंने के बजाय ऊपर की और उठता ही जा रहा है। दुर्भाग्य ये है कि  भारत की राजनीति में पिछले एक दशक से अचानक  ही भगवा ब्रिगेड महत्वपूर्ण हो गयी है।  इस भगवा ब्रिगेड को प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण तक में पृथक मंच दिया जाने लगा है।  भगवा ब्रिगेड के शास्त्रियों को सलमान खान की तरह ब्लैक कैट कमांडो  दिए जाने लगे हैं। सत्ता और भगवा ब्रिगेड के बीच की दुरभि संधि जनता को भ्रमित    करने में कामयाब हो रही  है। हाल के कुम्भ में उमड़ी भीड़ इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। 

भारत में विज्ञान से ज्यादा भगवा विद्वानों की मांग है और यही वजह है कि  भारत विज्ञान की दौड़ में न अमेरिका का मुकाबला कर पा रहा है और न चीन का। हाँ भारत का मुकाबला चीन और अमेरिका भी भगवा ब्रांड से नहीं कर पा रहा है। मुझे धीरेन्द्र गर्ग के शास्त्री होने या सेलेब्रिटी होने से कोई तकलीफ नहीं हैं ,मेरी चिंता तो ये है कि  सत्ता प्रतिष्ठान ऐसे लोगों को ,ऐसे प्रतिष्ठानों को प्रश्रय दे रहा है जो जनता की आँखों  में धर्म के नाम पर धूल झोंक कर एक अजीब सा उन्माद पैदा कर रहे हैं ,जो न केवल देश के विकास में बाधक है बल्कि देश की जनता के एक बड़े वर्ग को भाग्यवादी और अकर्मण्य बनाने के अभियान में लगा है।  धीरेन्द्र जो है, सो है।  कांग्रेस उसे उचक्का कहे या भाजपा संत ,मुझे कुछ नहीं कहना। भगवान जाने   जनता का विवेक कब जागेगा। जब जागेगा तब तय हो जाएगा की कौन ,क्या है ? 

@राकेश अचल

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